करनाल: किसानों के एक समूह पर पिछले महीने पुलिस को लाठीचार्ज करने का आदेश देने वाले भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी आयुष सिन्हा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों और जिले के अधिकारियों के बीच एक और दौर की वार्ता बुधवार को विफल रही. इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे यहां जिला मुख्यालय के द्वारों के बाहर डटे रहेंगे.
करनाल में महापंचायत के बाद स्थानीय प्रशासन से बातचीत विफल रहने पर मंगलवार शाम को किसान लघु सचिवालय के प्रवेश द्वारों के बाहर बैठे रहे. कई किसानों ने वहीं रात बितायी.
प्रदर्शनकारी 28 अगस्त को यहां पुलिस के लाठीचार्ज करने पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. उनकी मुख्य मांग करनाल के पूर्व एसडीएम सिन्हा से संबंधित है, जिनका नौकरशाही में बड़े फेरबदल के तौर पर तबादला कर दिया गया है.
किसान संघ के नेता, सिन्हा के निलंबन की मांग कर रहे हैं. सिन्हा को एक टेप में पुलिसकर्मियों को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि अगर प्रदर्शनकारी सुरक्षा तोड़ते हैं तो उनका ‘‘सिर फोड़ देना’’. भारतीय जनता पार्टी की एक बैठक स्थल की ओर मार्च करने की कोशिश के दौरान पुलिस के साथ झड़प में करीब 10 प्रदर्शनकारी घायल हो गए थे. उनके नेताओं ने यह भी दावा किया कि एक किसान की बाद में मौत हो गयी. हालांकि प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया है.
गतिरोध को समाप्त करने के मकसद से जिला प्रशासन ने एक बार फिर बुधवार अपराह्न दो बजे संयुक्त किसान मोर्चा के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया था.
तीन घंटे चली बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के नेता योगेंद्र यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘वार्ता पूरी तरह विफल रही क्योंकि सरकार अड़ियल रवैया अपना रही है.’
उन्होंने कहा, यहां तक कि सरकार आईएएस अधिकारी को निलंबित तक करने को तैयार नहीं है, उनके खिलाफ केवल एक मुकदमा दर्ज कर छोड़ दिया गया है.
इससे पहले, कई नेताओं के साथ किसानों ने लघु सचिवालय के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर रात बितायी. सुबह प्रदर्शनकारी घटनास्थल पर चाय बनाते हुए और नाश्ता देते हुए दिखायी दिए.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि उन्होंने इसी जगह पर धरना जारी रखने का निर्णय लिया है, जहां पिछली रात बितायी थी.