नयी दिल्ली, 29 मार्च (भाषा) उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में बताया कि उसने पिछले साल लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के पीड़ितों के परिवार के सदस्यों और गवाहों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करायी है। इस घटना में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गयी थी।
राज्य सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि अदालत के आदेशों के अनुसार, मामले के सभी पीड़ितों के परिवारों और गवाहों को 2018 की गवाह सुरक्षा योजना के तहत सुरक्षा मुहैया करायी जा रही है।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘प्रत्येक गवाह के पास एक सशस्त्र गनर है। पीड़ितों के परिवारों में से प्रत्येक को स्थायी सुरक्षा कर्मी के साथ ही एक सशस्त्र गनर दिया गया है और सीसीटीवी कैमरों के जरिए लगातार निगरानी की जा रही है, साथ ही उनके आवास पर अवरोधक लगाकर सुरक्षा दी जा रही है। कुल 98 लोगों को सुरक्षा मुहैया करायी गयी है, जिनमें से 79 खीरी जिले के, 17 दूर के जिलों के और दो उत्तराखंड राज्य के हैं।’’
हलफनामे में इन 98 लोगों के नाम उनके पते के साथ दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि पुलिस सभी गवाहों से उनकी सुरक्षा के बारे में नियमित तौर पर बातचीत करती है और हाल में 20 मार्च को टेलीफोन पर उनसे बात की गयी और उन्होंने सुरक्षा पर संतोष जताया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि सभी गवाहों को सूचित किया गया है कि अगर उन्हें अपनी सुरक्षा के संबंध में कोई मदद चाहिए तो वे तत्काल अपने जिलों के पुलिस अधीक्षकों से संपर्क करें और उन्हें तत्काल सहायता दी जाएगी।
सरकार ने 10 मार्च की घटना की जानकारी देते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं (पीड़ितों के परिवार के सदस्यों) के अनुसार, मुख्य गवाह दिलजोत सिंह की 10 मार्च को बदमाशों ने पिटायी की। वह जरनैल सिंह के बेटे हैं।
गौरतलब है कि लखमीपुर खीरी हिंसा के दौरान गत वर्ष तीन अक्टूबर को आठ लोगों की मौत हो गयी थी। यह हिंसा तब भड़की थी जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र के दौरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।
भाषा
गोला उमा
उमा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.