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Wednesday, 5 November, 2025
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फर्जी पासपोर्ट घोटाला: ईडी ने बंगाल के कारोबारी की बैंकॉक की 900 यात्राओं की जांच की

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कोलकाता, पांच नवंबर (भाषा) नकली पासपोर्ट घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के एक व्यवसायी की विदेश यात्राओं पर ध्यान केंद्रित किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि खरदाहा क्षेत्र के व्यवसायी विनोद गुप्ता ने पिछले 10 वर्षों में कथित तौर पर लगभग 900 बार बैंकॉक की यात्रा की है।

अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम उनके द्वारा इतने बार विदेश भम्रण करने के पीछे के कारणों की जांच कर रहे हैं। इन यात्राओं के नकली पासपोर्ट रैकेट से जुड़े एक बड़े नेटवर्क से संबंध होने का संदेह है।’’

जांच के तहत ईडी की विभिन्न टीम ने सोमवार को नदिया जिले के साथ-साथ कोलकाता में भी कई स्थानों पर छापे मारे।

अधिकारी ने बताया कि इन तलाशी अभियानों से मिले सुरागों के आधार पर जांचकर्ता मंगलवार को खरदाहा स्थित गुप्ता के आवास पर पहुंचे और गहन तलाशी ली, जो देर रात तक जारी रही।

उन्होंने बताया कि छापेमारी के दौरान कई दस्तावेज जब्त किये गये और अधिकारियों का दावा है कि उन्हें ‘महत्वपूर्ण और संदिग्ध’ जानकारी मिली है।

अधिकारी ने बताया कि पूछताछ के दौरान गुप्ता ने जांचकर्ताओं को बताया कि वह मसाला व्यापार का व्यवसाय करता है और बैंकॉक की उसकी लगातार यात्राएं इसी से संबंधित हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘गुप्ता विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) व्यापार में भी शामिल है और जांचकर्ता इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या उसकी बैंकॉक यात्राएं अवैध विदेशी मुद्रा लेनदेन से जुड़ी थीं।’

उन्होंने कहा कि गुप्ता के वित्तीय लेन-देन संदिग्ध प्रतीत होते हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘उन्हें आगे पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।’

फर्जी पासपोर्ट मामले ने अक्टूबर में उस वक्त नया मोड़ ले लिया जब ईडी ने इस रैकेट के सिलसिले में एक पाकिस्तानी नागरिक आजाद मलिक को गिरफ्तार किया।

मलिक से पूछताछ के आधार पर ईडी अधिकारियों ने उत्तर 24 परगना और नादिया जिलों में गेडे सीमा के पास कई इलाकों में तलाशी ली।

एक अन्य आरोपी इंदुभूषण हलदर को शीघ्र ही नादिया के शिबपुर से गिरफ्तार कर लिया गया।

अधिकारी ने कहा, ‘हमें हलदर से पूछताछ के बाद गुप्ता की जानकारी मिली। ऐसा प्रतीत होता है कि फर्जी पासपोर्ट रैकेट के माध्यम से हलदर और अन्य लोगों द्वारा अर्जित धन को विदेशी मुद्रा व्यापार में निवेश किया गया था, जिसके कारण अंततः जांचकर्ता गुप्ता तक पहुंचे।’

भाषा राखी सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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