नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने धोखाधड़ी में शामिल एक ‘मल्टी-कंपोनेंट मॉड्यूल’ का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस मामले में अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें कथित मास्टरमाइंड मोहम्मद अंसारी भी शामिल है, जो हाल के वर्षों में साइबर अपराध के केंद्र के रूप में उभरे झारखंड के जामताड़ा का रहने वाला है.
पुलिस के मुताबिक, इस गिरोह ने देशभर में एक हजार से ज्यादा लोगों को ठगा है.
आईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के.पी.एस. मल्होत्रा ने बताया, ‘बेंगलुरू, पश्चिम बंगाल और झारखंड में छापे मारे गए, जहां ये मॉड्यूल फैला हुआ था.’
पुलिस जांच के दौरान आरोपियों के पास से 26 फोन, एक लैपटॉप, 156 सिम कार्ड और 111 एटीएम कार्ड बरामद हुए हैं और 111 बैंक खातों को फ्रीज किया गया है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘यह गिरोह एक साल से अधिक समय से कार्य कर रहा था. मामले में और गिरफ्तारियों की संभावना है.’
यह मामला इस साल जुलाई में दिल्ली पुलिस के समक्ष शिकायत दर्ज कराने के बाद सामने आया था. शिकायतकर्ता ने कहा कि चेक से संबंधित पूछताछ के लिए एक फोन नंबर पर कॉल करने के बाद उसके साथ धोखाधड़ी की गई. यह नंबर गूगल पर केनरा बैंक के कस्टमर केयर नंबर के तौर पर सूचीबद्ध नजर आ रहा था. इसके बाद, उन्होंने पाया कि उनके बैंक खाते से आठ अन्य खातों में 27.10 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे.
मलहोत्रा ने कहा, ‘तकनीकी जांच और ह्यूमन इंटेलिजेंस में पाया गया कि ये मॉड्यूल देशभर में फैला हुआ था. पहली छापेमारी सितंबर 2021 में की गई थी और छह आरोपियों (सभी जामताड़ा के निवासी) को बेंगलुरू से गिरफ्तार किया गया.’
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कैसे काम करता था मॉड्यूल
दिल्ली पुलिस के अनुसार, अंसारी जामताड़ा से ही इस मॉड्यूल को ऑपरेट करता था और पश्चिम बंगाल और बेंगलुरू में छापेमारी के बाद उसे गिरफ्तार किया गया.
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अंसारी जामताड़ा से यह मल्टी कंपोनेंट मॉड्यूल चला रहा था और अन्य राज्यों में किसे ठगा जा सकता है, इस पर उसे निर्देश देता था. वह विभिन्न मॉड्यूल के संपर्क में रहता था लेकिन इन मॉड्यूल के बीच कोई संपर्क नहीं होता था.’
दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से बेंगलुरू में छापेमारी से जामताड़ा मॉड्यूल के सदस्यों की गिरफ्तारी हुई, वह ‘इस बात का संकेत है कि यहां के लोग अब देश के अन्य स्थानों पर अपने ठिकाने बना रहे हैं.’
मल्होत्रा ने कहा, ‘आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट बनाई और इंजन ऑप्टिमाइजेशन के जरिए उसे प्रचारित किया, और इस पर फर्जी कस्टमर केयर नंबर भी फ्लैश करता था. ये वेबसाइट पीड़ितों को एप्लिकेशन या मैलवेयर इंस्टॉल करने तक पहुंचाती हैं. पीड़ित के फोन तक पहुंच हासिल करने के बाद वे वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी)— यहां तक कि इंटरनेट बैंकिंग ओटीपी— तक पहुंच हासिल कर सकते थे और जब पीड़ित सो रहा होता था तो बड़ी रकम अपने खातों में स्थानांतरित कर सकते थे.
आगे यह बताते हुए कि ये मॉड्यूल कैसे काम करता था, ऊपर उद्धृत वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘इस पूरे गठजोड़ में पांच मॉड्यूल ऑपरेट कर रहे थे. लॉजिस्टिक मॉड्यूल सिम कार्ड की व्यवस्था करता और उन्हें धोखाधड़ी, हवाला और ड्रग्स तस्करी में शामिल विभिन्न गिरोहों को देता था. टेली-कॉलर और टेक मॉड्यूल कॉल आने पर ग्राहकों को फर्जी वेबसाइटों पर खाते का विवरण भरने के लिए प्रेरित करता.’
अधिकारी ने आगे कहा, ‘इन नकली वेबसाइटों, मैलवेयर, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन और विभिन्न चैनलों के माध्यम से पैसे भेजने का काम टेक मॉड्यूल के जिम्मे था. नकद निकासी मॉड्यूल बैंक खातों को संचालित करता है और जमा की पुष्टि के तुरंत बाद एटीएम के माध्यम से पैसे निकाल लेता था. लॉजिस्टिक मॉड्यूल धोखाधड़ी के शिकार होने वाले बैंक खातों की जिम्मेदारी संभालता था.’
मल्होत्रा ने कहा, ‘पश्चिम बंगाल मॉड्यूल लॉजिस्टिक सेवा प्रदाता था, जो धोखाधड़ी के लिए फर्जी आईडी सिम कार्ड और बैंक खातों की व्यवस्था करता था. तकनीकी ऑपरेशन बेंगलुरू मॉड्यूल चलाता था.’
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