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Thursday, 2 May, 2024
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NCERT की 10वीं की किताब से फैज़ की कविता समेत लोकतंत्र पर अहम चैप्टर्स को CBSE ने हटाया

सीबीएसई की 10वीं कक्षा से तीन महत्वपूर्ण अध्यायों को भी हटाया गया है जिनमें लोकतंत्र और विविधता, प्रमुख संघर्ष और आंदोलन और लोकतंत्र की चुनौतियां शामिल हैं.

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नई दिल्ली: करीब एक दशक से ज्यादा समय के बाद सीबीएसई ने एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम में कई बड़े बदलाव किए हैं जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया है.

सीबीएसई ने एनसीईआरटी की कक्षा 10 की राजनीति विज्ञान की किताब से फैज़ अहमद फैज़ की शायरी के कुछ अंशों समेत लोकतंत्र, लोकतंत्र के सामने चुनौतियां समेत प्रमुख संघर्ष और आंदोलन वाले अध्यायों को हटाने का फैसला किया है.

सीबीएसई की 2022-23 के अकादमिक सत्र के पाठ्यक्रम में से इन हिस्सों को हटाया गया है, जिसे गुरुवार को जारी किया गया.

एनसीईआरटी की मौजूदा राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों को कलकत्ता विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के दिवंगत प्रोफेसर हरि वासुदेवन की कमिटी ने तैयार किया था, जिसमें 2005 में नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के तहत कुछ बदलाव किए गए थे. इस कमिटी में मुख्य सलाहकार के तौर पर योगेंद्र यादव भी शामिल थे.

शनिवार को ट्वीट कर योगेंद्र यादव ने कहा, ‘आज खबर है कि सीबीएसई ने एनसीईआरटी किताब में नफरत की राजनीति के खिलाफ फैज़ की कविता के पोस्टर को सिलेबस से बाहर निकाल दिया है. जरा सोचिए, खून के धब्बे न धुलने का डर किसे लगता है? और क्यों?’

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उन्होंने सवाल किया, ‘सभी धर्मों के नाम पर राजनीति करने वालों पर इस कार्टून को भी सीबीएसई ने सिलेबस से निकाल दिया. क्यों?’

यादव ने कहा, ‘और अब इन तीन अध्याय के नाम पढ़ लीजिए, जिन्हे सीबीएसई ने सिलेबस से निकाल दिया है. समझ आया कुर्सी किससे डरती है? क्या है जो हम बच्चों से दूर रखना चाहते हैं?’


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फैज़ की शायरी और लोकतंत्र से जुड़े हिस्सों को हटाया गया

कक्षा 10वीं की राजनीति विज्ञान की किताब के अध्याय 4- जेंड़र, रिलीजन एंड कास्ट से कुछ हिस्सों को हटाया गया है जिसमें फैज़ अहमद फैज़ की चंद शायरी और एक राजनीतिक कार्टून शामिल है, जो पेज 46, 48 और 49 पर है.

पेज 46 पर धर्म, सांप्रदायिकता और राजनीति वाले हिस्से में फैज़ अहमद फैज़ की एक कविता है जिसमें लिखा है-

चश्म-ए-नम जान-ए-शोरीदा काफी नहीं
तोहमत-ए-इश्क-ए-पोशीदा काफी नहीं
आज बाज़ार में पा बजौलां चलो

वहीं पेज 48 पर फैज़ की एक और कविता है-

हम तो ठहरे अजनबी
कितनी मुलाकातों के बाद खून के धब्बे धुलेंगे
कितनी बरसातों के बाद

वहीं पेज 49 पर द टाइम्स ऑफ इंडिया के अजिथ नायनन का एक राजनीतिक कार्टून है, जो सभी धर्मों के नाम पर राजनीति करने वालों पर कटाक्ष करता है. इसे भी सिलेबस से हटा दिया गया है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘फैज़ अहमद फैज़ की जिन कविताओं के हिस्से को हटाया गया है उसे उन्होंने तब लिखा था जब उन्हें लाहौर की जेल से तांगा में एक डेंटिस्ट के यहां ले जाया जा रहा था.’

सीबीएसई की 10वीं कक्षा से तीन महत्वपूर्ण अध्यायों को भी हटाया गया है जिनमें लोकतंत्र और विविधता, प्रमुख संघर्ष और आंदोलन और लोकतंत्र की चुनौतियां शामिल हैं.

किताब की शुरुआत में जहां ये बताया गया है कि इस पुस्तक का कैसे इस्तेमाल किया जाए, उसमें स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि किताब में ग्राफिक्स, कोलाज, फोटोग्राफ्स और पोस्टर्स का काफी इस्तेमाल किया गया है और विविध राजनीतिक कार्टून भी शामिल किए गए हैं.

वहीं कक्षा 11वीं की इतिहास की किताब का एक अध्याय सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स को भी पाठ्यक्रम से हटाया गया है. इस अध्याय में इस्लामिक साम्राज्य के उत्थान और उस वजह से अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़े प्रभावों को विस्तार से बताया गया है.

इसके अलावा कक्षा 10वीं में फूड सिक्योरिटी, कक्षा 12वीं में शीत युद्ध और गुट-निरपेक्ष आंदोलन, कक्षा 11वीं से मैथमेटिकल रीजनिंग वाले हिस्सों को भी हटाया गया है.

गौरतलब है कि इससे पहले 2012 में एनसीईआरटी ने कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक की राजनीति विज्ञान की किताबों से 6 राजनीतिक कार्टून्स को हटाया था. उसके बाद 2018 में कुछ कार्टून्स के कैप्शन में बदलाव भी किए गए थे.


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