कोलकाता: स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार पश्चिम बंगाल और पूर्वी भारत का सबसे बड़ा महानगर कोलकाता कोविड -19 महामारी की तीसरी लहर की चपेट में है, जिसके फरवरी तक बने रहने की आशंका है और इस महीने के दूसरे सप्ताह में संक्रमण के मामले चरम पर पहुंच सकते हैं.
उन्होंने इसके लिए बड़ी सभाओं और उत्सवों के लिए अनुमति देने में राज्य प्रशासन की ओर से दूरदर्शिता की कमी के साथ ही आम लोगों की आत्मसंतुष्टि को जिम्मेदार ठहराया.
वरिष्ठ डॉक्टर अनिमा हलदर ने कहा, ‘यदि आप पिछले पांच दिनों का उछाल देखें, तो स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल तीसरी लहर की चपेट में है. नयी दिल्ली और मुंबई जैसे अन्य महानगरों में भी यह है. हमारे राज्य में, खासकर कोलकाता में, मामले 12 गुना बढ़ गए हैं. जांच के लिए आने वाला हर तीसरा व्यक्ति वायरस से संक्रमित मिल रहा है.’
बर्दवान मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ संजीब बंदोपाध्याय ने कहा, ‘इस समय हम जो संक्रमण देख रहे हैं, वह उस भीड़ का परिणाम नहीं है जिसे हमने 24-25 दिसंबर को और और नए साल की पूर्व संध्या पर देखा था, उसका परिणाम अगले कुछ दिनों में आएगा.’ उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ हफ्तों की घटनाओं को देखते हुए, ऐसा लगता है कि ग्राफ बढ़ता रहेगा.’ उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि यदि मौजूदा प्रतिबंध जारी रहे, तो संख्या में जल्दी ही कमी आ सकती है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हमने पुलिसकर्मियों को लोगों से मास्क पहनने की अपील करते हुए देखा. यह चौंकाने वाला है. सख्त दृष्टिकोण हमें इससे बचा सकता था.’
पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के संस्थापक सदस्य डॉ कौशिक चाकी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘लोगों के साथ-साथ प्रशासन के गैर-जिम्मेदार रवैये से यह तीसरी लहर अपरिहार्य थी.’ पश्चिम बंगाल में 28 दिसंबर से कोविड -19 के मामलों में भारी वृद्धि दर्ज की गयी है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सोमवार को संक्रमण दर बढ़कर 19.59 प्रतिशत हो गई, जो 28 दिसंबर को 2.35 प्रतिशत थी.