प्रयागराज: महाकुंभ में भगदड़ की घटना के एक दिन बाद जिसमें 30 लोगों की जान चली गई और 60 से ज़्यादा लोग घायल हो गए, लेकिन कुछ श्रद्धालु अभी भी लापता हैं.
इनमें 62 वर्षीय मीरा सिंह भी शामिल हैं. उनके रिश्तेदार 24- वर्षीय शिशिर सिंह, भगदड़ में अलग होने के बाद से ही उनकी तलाश कर रहे हैं.
सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “जब भगदड़ हुई, तब मैं रात 1 बजे वहां था. एक पल हम नदी में नहा रहे थे. अगले ही पल हमने देखा कि लोग एक-दूसरे को धक्का दे रहे थे और चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई.”
सिंह ने मेला मैदान में बनाए गए कई अस्थायी मेडिकल केंद्रों का दौरा किया, लेकिन उन्हें एक से दूसरे में दौड़ाया गया. इसके बाद वे सेक्टर 2 के सरकारी अस्पताल गए, जहां भगदड़ के ज़्यादातर पीड़ितों को पहले ले जाया गया और फिर आगे के इलाज के लिए शहर भर के विशेष अस्पतालों में भेजा गया.
अधिकारियों ने प्रियजनों की तलाश करने वालों की मदद के लिए मेला मैदान में खोया-पाया केंद्र भी स्थापित किए हैं.
सिंह ने कहा, “उन्होंने लिस्ट देखी, लेकिन वो यहां भी नहीं थी. मुझे नहीं पता कि वो संगम में क्यों नहाना चाहती थी, वो किसी भी घाट पर जा सकती थी. वो यह सब करने के लिए बहुत बूढ़ी हो चुकी है.”
त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियां मिलती हैं, भक्तों द्वारा पवित्र माना जाता है. कई लोगों का मानना है कि इसमें स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
कर्नाटक के एक श्रद्धालु मनोज लाल ने दिप्रिंट को बताया कि कुंभ मेले के लिए इतनी दूर की यात्रा करने के बाद संगम में डुबकी लगाना ज़रूरी है.
लाल ने कहा, “हम आज करीब 30 किलोमीटर पैदल चले हैं. क्या कल हुई भगदड़ के कारण हमें संगम जाने का मौका नहीं मिला?”
भगदड़ के बाद लगाए गए यातायात प्रतिबंधों के कारण लाखों श्रद्धालुओं को पैदल ही मेले में जाना पड़ा.
बसों, कारों और ऑटो के मेला क्षेत्र में प्रवेश पर प्रतिबंध के कारण प्रयागराज के बाहरी इलाकों में कई जगहों पर वाहन जाम में फंस गए.
भगदड़ वाली जगह को हालांकि, साफ कर दिया गया है.
पीछे रह गए जूते, बैग, कपड़े और अन्य निजी सामान को हटा दिया गया है, जिससे उस घटना का कोई निशान नहीं बचा है.
संगम क्षेत्र के आसपास श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने के कारण भगदड़ मची, सभी लोग सूर्योदय से पहले ‘ब्रह्म मुहूर्त’ में स्नान करने जा रहे थे.
भीड़ के दबाव में बैरिकेड टूट गए, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिर गए और कुचले गए.
संगम क्षेत्र के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
उत्तर प्रदेश पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को नियमित अंतराल पर तैनात किया गया है, जो श्रद्धालुओं को स्नान के बाद बाहर निकलने में मदद कर रहे हैं.
सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि वे केवल उस दिन वहां तैनात थे और उन्होंने भगदड़ नहीं देखी.
उन्होंने कहा, “हमारे पास एक दिन की शिफ्ट और एक रात की शिफ्ट है. साथ ही, हमें अलग-अलग क्षेत्रों में फिर से नियुक्त किया जाता है, इसलिए यह पहली बार है जब मैं संगम क्षेत्र के पास हूं.”
उत्तर प्रदेश प्रशासन ने गुरुवार को मेले में सुरक्षा बढ़ाने के लिए कई निर्देश जारी किए. सभी वीवीआईपी पास रद्द कर दिए गए हैं और पूरे महाकुंभ क्षेत्र को नो-व्हीकल जोन घोषित कर दिया गया है.
भगदड़ के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, महाकुंभ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने कहा, “हम वसंत पंचमी पर आगामी अमृत स्नान (3 फरवरी) और तीर्थयात्रियों की आवाजाही के लिए व्यवस्था कर रहे हैं. इसे ध्यान में रखते हुए, ड्यूटी को मजबूत किया जा रहा है, जिस तरह 29 जनवरी को किसी भी वीआईपी मूवमेंट की अनुमति नहीं थी, उसी तरह 3 फरवरी को भी किसी भी वीआईपी मूवमेंट की अनुमति नहीं दी जाएगी. हमारे कर्मचारी भीड़ को संभालने के लिए तैयार हैं.”
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