नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) पर्यावरणविदों का एक समूह सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकत्र हुआ और राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का बाघ अभयारण्य की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की। उनका आरोप है कि इस कदम से 50 से अधिक खदानें खुल जाएंगी, जो मई 2024 में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद बंद कर दी गई थीं।
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के पूर्व निदेशक अखिल चंद्र ने कहा कि राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने सरिस्का के महत्वपूर्ण बाघ आवास की सीमाओं को पुनः निर्धारित करने को मंजूरी दे दी है, जिससे अभयारण्य की सीमा के एक किलोमीटर के भीतर खनन कार्य पुनः शुरू करने का रास्ता साफ हो गया है।
उन्होंने दावा किया, “यह बाघों और अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए एक अछूता वन क्षेत्र है। पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील ऐसे क्षेत्र में खनन की अनुमति देने से इसकी वनस्पतियों और जीवों पर दीर्घकालिक गंभीर प्रभाव पड़ेंगे।”
पर्यावरण कार्यकर्ता अजय जो ने दावा किया, “यह निर्णय न केवल वन्यजीव विरोधी है, बल्कि यह जनविरोधी भी है और हमारे बच्चों के सामूहिक भविष्य के विरुद्ध है। हम खनन उद्योगों को भारत के राष्ट्रीय पशु के अंतिम महत्वपूर्ण आवासों में से एक को नष्ट करने की अनुमति कैसे दे सकते हैं?”
भाषा प्रशांत नेत्रपाल
नेत्रपाल
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