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Saturday, 23 November, 2024
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पर्यावरणविद् और चिपको नेता सुंदरलाल बहुगुणा का कोरोना संक्रमण से निधन, PM मोदी ने जताया शोक

कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आठ मई को बहुगुणा को एम्स में भर्ती कराया गया था. ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी.

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देहरादून: प्रसिद्ध पर्यावरणविद और चिपको आंदोलन नेता सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार को एम्स, ऋषिकेश में कोविड-19 से निधन हो गया. वह 94 वर्ष के थे. उनके परिवार में पत्नी विमला, दो पुत्र और एक पुत्री है.

एम्स प्रशासन ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद आठ मई को बहुगुणा को एम्स में भर्ती कराया गया था. ऑक्सीजन स्तर कम होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी. चिकित्सकों की पूरी कोशिश के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका.

नौ जनवरी, 1927 को टिहरी जिले में जन्मे बहुगुणा को चिपको आंदोलन का प्रणेता माना जाता है. उन्होंने सत्तर के दशक में गौरा देवी तथा कई अन्य लोगों के साथ मिलकर जंगल बचाने के लिए चिपको आंदोलन की शुरूआत की थी .

सुंदर लाल बहुगुणा के निधन पर पीएम मोदी ने भी शोक व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘सुंदर लाल बहुगुणा का निधन देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान है. उन्होंने पर्यावरण के साथ रहने की अपनी पुरानी परंपरा को सिखाया. उनकी सादगी और करुणा कभी भी नहीं भूलेगी.’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सुंदर लाल बहुगुणा के निधन पर शोक व्यक्त किया है.

 

 

पद्मविभूषण तथा कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित बहुगुणा ने टिहरी बांध निर्माण का भी बढ़-चढ़ कर विरोध किया और 84 दिन लंबा अनशन भी रखा था. एक बार उन्होंने विरोध स्वरूप अपना सिर भी मुंडवा लिया था.

टिहरी बांध के निर्माण के आखिरी चरण तक उनका विरोध जारी रहा. उनका अपना घर भी टिहरी बांध के जलाशय में डूब गया. टिहरी राजशाही का भी उन्होंने कड़ा विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल भी जाना पडा. वह हिमालय में होटलों के बनने और लक्जरी टूरिज्म के भी मुखर विरोधी थे.

महात्मा गांधी के अनुयायी रहे बहुगुणा ने हिमालय और पर्यावरण संरक्षण को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए कई बार पदयात्राएं कीं. वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कट्टर विरोधी थे.


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