नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का उल्लेख किए जाने पर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने शुक्रवार को कड़ा विरोध दर्ज कराया.
विपक्ष ने आरोप लगाया कि सीएए का उपलब्धि के तौर पर जिक्र शर्मनाक है और ऐसा करके सरकार ने राष्ट्रपति पद की गरिमा गिराई है.
संसद के बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को कांग्रेस एवं कई विपक्षी दलों के सदस्य दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति अभिभाषण के दौरान बाहों पर काली पट्टी बांध कर ऐतिहासिक केन्द्रीय कक्ष पहुंचे.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के दौरान कांग्रेस और द्रमुक सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सीएए का उल्लेख किए जाने के दौरान भारी हंगामा किया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी अपनी निर्धारित सीट के बजाय पांचवीं पंक्ति में बैठे हुए थे.
अभिभाषण के दौरान कोविंद ने जब सीएए को ‘ऐतिहासिक’ बताया तो जहां सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर इसका स्वागत किया, वहीं कांग्रेस, द्रमुक आदि विपक्षी दल के सदस्य ‘शर्म करो, शर्म करो’ के नारे लगा रहे थे.
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘आज सुबह 14 राजनीतिक दलों के नेताओं ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना दिया था और सभी ने अपनी अपनी बांह पर काली पट्टी बांध रखी थी. यह विरोध सीएए और एनआरसी को लेकर था.’
उन्होंने कहा, ‘देश में कई हफ़्तों से लोग सड़कों पर है. इसमें अलग धर्म और जातियों तथा सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हैं. सवा महीने में कई हजार जुलूस निकले हैं. जहां भी भाजपा की सरकार हैं वहां कई लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए.’
आजाद ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में जब पूरा देश संशोधित नागरिकता कानून का विरोध कर रहा है तो ऐसे हालात में अफसोस की बात यह है कि इस कानून को राष्ट्रपति के अभिभाषण में सरकार ने अपनी उपलब्धि बताया है. ….यह बड़े शर्म की बात है.’
उन्होंने दावा किया, ‘अभिभाषण में कई पुरानी चीजें और कई बातों का तो कोई अर्थ ही नहीं है. महंगाई के बारे में कोई चर्चा नहीं है. जीडीपी और रुपये के गिरने की कोई चर्चा नहीं है.’
आजाद ने कहा, ‘सरकार ने जम्मू कश्मीर में विकास होने का दावा किया. इससे ज्यादा क्रूर मजाक कुछ और नहीं हो सकता. जहां लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं है, लोगों के पास काम नहीं है वहां आप कैसे कह सकते हैं कि विकास हो रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति के मुंह से गलतबयानी के लिए सरकार को देश और जम्मू कश्मीर से माफी मांगनी चाहिए.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘देश के लिए आज दुर्भाग्य का दिन है. राष्ट्रपति देश के संविधान के संरक्षक हैं. इस कानून के जरिये संविधान पर हमला किया गया है. सरकार ने सीएए को उपलब्धि बताकर राष्ट्रपति पद की गरिमा को गिराया है.’
येचुरी ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘समाज गृहयुद्ध जैसे हालात की तरफ बढ़ रहा है और इसके लिए सिर्फ सरकार जिम्मेदार है.’
उन्होंने जामिया इलाके में एक युवक के गोली चलाने और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का हवाला देते हुए यह टिप्पणी की.
येचुरी ने आरोप लगाया, ‘सरकार ने प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत का कोई संकेत नहीं दिया. इसके उलट वह हिंसा का सहारा ले रही है.’
राजद नेता मीसा भारती ने कहा, ‘सरकार द्वारा प्रदर्शन को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है. लेकिन इसमें सभी समुदायों के लोग शामिल हैं.’
उन्होंने कहा, ‘विपक्षी दलों को उम्मीद थी कि अभिभाषण में राष्ट्रपति देश के हालात के बारे में बात करेंगे. लेकिन कुछ भी नहीं कहा गया.’