कोलकाता, 12 मार्च (भाषा)पद्म भूषण से सम्मानित प्रख्यात शिक्षाविद गायत्री चक्रवर्ती स्पीवाक ने शुक्रवार को कहा कि चुनाव हर देश में लोकतंत्र की रक्षा के लिए ‘बेहद अहम’ हैं, लेकिन गरीब मतदान के नाम पर अक्सर ‘शक्ति प्रदर्शन’ के गवाह मात्र बनकर रह जाते हैं।
स्पीवाक ने कोलकाता साहित्य महोत्सव के उद्घाटन सत्र में यह बात कही।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर स्पीवाक ने महोत्सव में किताबों के भविष्य पर अपने विचार व्यक्त किए। वह बाद में संवाददाताओं से भी मुखातिब हुईं।
उन्होंने कहा, “मैं कई देशों की यात्रा कर चुकी हूं। लोकतंत्र के लिए चुनाव बेहद जरूरी हैं। लोगों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर अमल का मौका दिया जाना चाहिए। लेकिन लोग चुनाव के नाम पर अक्सर शक्ति प्रदर्शन के गवाह भर बनकर रह जाते हैं।”
एक सवाल के जवाब में स्पीवाक ने कहा, “मुझे याद है कि मैंने सुदूर के एक गांव में एक बच्चे से पूछा था कि चुनाव का क्या मतलब है। जवाब में बच्चे ने कहा था, चुनाव एक खेल है और इसका मतलब है ‘मारामारी होबे’ यानी टकराव होगा। मैं किसी विशेष स्थान का नाम नहीं ले रही हूं, लेकिन मुझे कई जगहों पर कुछ ऐसी ही बातें सुनने को मिली हैं।”
80 वर्षीय स्पीवाक पश्चिम बंगाल के ग्रामीण इलाकों में बच्चों को बुनियादी शिक्षा मुहैया कराने से संबंधित एक परियोजना से जुड़ी हुई हैं।
बहुसंख्यकवाद से जुड़े एक सवाल पर स्पीवाक ने कहा, “हां, यह मौजूद है और मैं सहमत हूं। लेकिन यह इस बारे में चर्चा करने का उपयुक्त स्थान नहीं है।” एक अन्य सवाल पर उन्होंने कहा, “पूरी दुनिया जाति और लिंग के आधार पर विभाजित है।”
स्पीवाक के मुताबिक, वह बच्चों को उस भाषा में और उस तरीके से पढ़ाने में यकीन रखती हैं, जिसे वे समझते हैं और जिससे वे जुड़ाव महसूस करते हैं। उन्होंने डिजिटल मीडिया को बेहद शक्तिशाली के साथ-साथ उतना ही खतरनाक भी करार दिया।
मशहूर शिक्षाविद ने कहा, “बच्चों को उनके दिमाग का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करें। उन्हें ऐसी सामग्री और कौशल प्रदान करें, जिनकी बदौलत वे अपनी क्षमता पहचान सकें।”
भाषा पारुल शोभना
शोभना
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