(कीर्ति आजाद की प्रतिक्रिया के साथ)
नयी दिल्ली, चार मार्च (भाषा) तृणमूल कांग्रेस ने मंगलवार को मतदाता पहचान-पत्र क्रमांक के दोहराव पर निर्वाचन आयोग के स्पष्टीकरण को ‘‘ढकोसला तथा परदा डालने की कोशिश’’ करार देते हुए खारिज कर दिया और आयोग के ही दिशा-निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि दो पहचान-पत्रों पर एक ही नंबर नहीं हो सकता।
तृणमूल कांग्रेस ने सोमवार को क्रमांक के दोहराव को ‘घोटाला’ करार देते हुए कहा था कि निर्वाचन आयोग को 24 घंटे के भीतर इस भूल को स्वीकार करना चाहिये।
मंगलवार को पार्टी के राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने इस मुद्दे पर निर्वाचन आयोग के स्पष्टीकरण के जवाब में ‘निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों के लिए पुस्तिका’ के कुछ अंश साझा किए। इस मुद्दे को सबसे पहले पार्टी सुप्रीमो एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उठाया था।
गोखले ने कहा, ‘‘कल अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को ईपीआईसी (मतदाता फोटो पहचान पत्र) के दोहराव वाले अनुक्रमांक फर्जीवाड़े पर 24 घंटे के भीतर भूल स्वीकार करने के लिये कहा था। यह स्पष्ट है कि आयोग अब बेनकाब हो चुका है और मामले पर लीपापोती करना चाहता है।’’
सांसद ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सवाल उठाने के बाद रविवार को आयोग ने जो जवाब दिया था वह ‘स्पष्टीकरण’ वास्तव में ढकोसला और परदा डालने वाला है। उन्होंने माना है कि कुछ गड़बड़ है, लेकिन इसे स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं। आयोग द्वारा दिया गया झूठा ‘स्पष्टीकरण’ उनके अपने नियमों और दिशा-निर्देशों का खंडन करता है।’’
उन्होंने कहा कि ईपीआईसी कार्ड जारी करने की प्रक्रिया ईसीआई की ‘निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी पुस्तिका’ में बतायी गयी है।
आयोग ने इस पर कहा था कि कुछ राज्यों द्वारा एक ही ‘‘अल्फ़ान्यूमेरिक सीरीज़’’ का उपयोग करने के कारण एक ही नंबर वाले ईपीआईसी कार्ड कई मतदाताओं को जारी किए गए हैं ।
गोखले ने पुस्तिका के कुछ अंश साझा करते हुये कहा कि यह असंभव है, क्योंकि कार्यात्मक विशिष्ट क्रमांक (एफयूएसएन) प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ईपीआईसी कार्ड नंबर तीन अक्षरों और सात अंकों का एक अल्फ़ान्यूमेरिक अनुक्रम है। आयोग की पुस्तिका में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि तीन अक्षर, जिन्हें कार्यात्मक विशिष्ट क्रमांक के रूप में जाना जाता है, प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग-अलग हैं ।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों (यहां तक कि एक ही राज्य में) के मतदाताओं के लिए उनके ईपीआईसी पर पहले तीन अक्षर समान होना असंभव है। फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि पश्चिम बंगाल के मतदाताओं के समान ईपीआईसी नंबर हरियाणा, गुजरात एवं अन्य राज्यों में लोगों को आवंटित किए गए हैं।’’
निर्वाचन आयोग के इस स्पष्टीकरण का विरोध करते हुए कि एक ही ईपीआईसी नंबर होने पर भी दो लोग केवल अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्र में ही मतदान कर सकते हैं, गोखले ने कहा कि मतदाता ईपीआईसी नंबर के ज़रिए अपनी फ़ोटो से संबद्ध होता है।
सांसद ने कहा, ‘‘फ़ोटो मतदाता सूची में, मतदाता ईपीआईसी नंबर के ज़रिए अपनी फ़ोटो से संबद्ध होता है। इसलिए, जब बंगाल में कोई मतदाता अपना वोट डालने जाता है और अगर वही ईपीआईसी नंबर किसी दूसरे राज्य में किसी अन्य व्यक्ति को आवंटित किया गया है तो मतदाता सूची में उसकी फ़ोटो अलग होगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तस्वीर बेमेल होने के कारण मतदान करने से मना किया जा सकता है। अलग-अलग राज्यों में एक ही ईपीआईसी नंबर आवंटित करके, फ़ोटो बेमेल होने के कारण उन लोगों को मतदान से वंचित किया जा सकता है, जो गैर-भाजपा दलों को वोट देने की संभावना रखते हैं ।’’
तृणमूल कांग्रेस सांसद ने ज़ोर देकर कहा कि चुनाव आयोग के नियमों में यह अनिवार्य है कि ईपीआईसी कार्ड जारी करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सॉफ़्टवेयर में हर इस्तेमाल किए गए और इस्तेमाल न किए गए नंबर का हिसाब रखा जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि एक ही नंबर से कई लोगों को कार्ड आवंटित न हो ।’’
इसके अलावा, ईपीआईसी नंबर मतदाताओं के विवरण को उनकी फोटो के साथ जोड़ता है और इसे ‘‘स्थायी विशिष्ट पहचान’’ माना जाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, यह असंभव है कि किसी भी ‘त्रुटि’ के कारण एक ही ईपीआईसी नंबर अलग-अलग राज्यों में कई लोगों को आवंटित किया जा सकता है। साथ ही, चूंकि ईपीआईसी नंबर मतदाता के विवरण से जुड़ा हुआ है, इसलिए डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर मतदाताओं को मतदान करने से वंचित कर देगा।’’
गोखले ने कहा, ‘‘इसमें स्पष्ट रूप से मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में करने की साजिश की बू आती है, जहां गैर-भाजपा शासित क्षेत्रों के मतदाताओं को निशाना बनाकर उनके मतदाता पहचान पत्र नंबर अन्य राज्यों के लोगों को जारी किए जा रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह मामला निर्वाचन आयोग की कार्रवाइयों पर गंभीर सवाल उठाता है, खासकर यह देखते हुए कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तीन सदस्यीय पैनल में बहुमत से की जाती है, जिसमें दो सदस्य प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आयोग को स्पष्ट रूप से यह बताना चाहिए कि वर्तमान में कितने ईपीआईसी कार्ड सक्रिय हैं और उनमें से कितने एक ही नंबर के हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन आयोग को इस पर स्पष्ट होना चाहिए और इस ‘डुप्लिकेट वोटर आईडी घोटाले’ की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए।’’
निर्वाचन आयोग की आलोचना करते हुए तृणमूल सांसद कीर्ति आज़ाद ने आयोग को ‘‘पिंजरे में बंद पक्षी’’ करार दिया ।
उन्होंने कहा, ‘‘ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) की तरह ही चुनाव आयोग भी सबसे बड़ा धोखेबाज़ है। उच्चतम न्यायालय ने एक बार सीबीआई को ‘‘पिंजरे में बंद तोता’’ कहा था, चुनाव आयोग भी पिंजरे में बंद पक्षी है।’’ उन्होंने आयोग पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘आप देख सकते हैं कि इसमें यह निर्दिष्ट किया गया है कि किसी व्यक्ति का ईपीआईसी नंबर किसी और को नहीं दिया जा सकता है, लेकिन वे अपनी मर्जी से काम कर रहे हैं।’’
क्रिकेटर से राजनेता बने आजाद ने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी को अगर यह लगता है कि वह चुनाव हार रही है तो इसे जीतने के लिये पार्टी कुछ भी कर सकती है।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि आयेाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बगैर ऐसा नहीं हो सकता है।
भाषा रंजन रंजन मनीषा
मनीषा
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