पटना, सात अगस्त (भाषा) निर्वाचन आयोग ने बृहस्पतिवार को जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के इस आरोप को खारिज किया कि चुनाव निकाय सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग के साथ मिलकर बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान गरीब मतदाताओं के नाम हटा रहा है।
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी के पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए राज्यव्यापी दौरे पर निकले किशोर ने बुधवार को बेगूसराय में यह बयान दिया था।
पूर्व चुनाव रणनीतिकार का गुस्सा पिछले सप्ताह जारी मतदाता सूची के मसौदे में 65 लाख से अधिक नामों को हटाए जाने की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि हटाए गए नाम उन लोगों के हैं, जिनकी मृत्यु हो चुकी है (22.34 लाख), जो अन्य स्थानों पर चले गए हैं (36.28 लाख) या जो एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत थे (7.01 लाख)।
बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में किशोर की वीडियो क्लिप साझा की और अपना बयान संलग्न किया।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने बयान में कहा, ‘‘आइए, हम सामूहिक रूप से मतदाता सूची की शुचिता को बनाए रखें और समय से पहले या सांख्यिकीय रूप से असमर्थित निष्कर्षों से बचें, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कमजोर कर सकते हैं।’’
बयान में सभी राजनीतिक दलों और हितधारकों से आग्रह किया गया कि वे ऐसे किसी भी पात्र मतदाता के लिए दावे और आपत्तियां दर्ज कराएं, जिसका नाम सूची में नहीं है, या ऐसे किसी भी अपात्र व्यक्ति के खिलाफ आपत्ति उठाएं, जिसका नाम गलत तरीके से सूची में शामिल किया गया हो।
दावे और आपत्तियां एक सितंबर तक दायर की जा सकती हैं।
बेगूसराय में किशोर ने कहा था, ‘‘निर्वाचन आयोग सत्तारूढ़ भाजपा नीत राजग के साथ साठगांठ कर रहा है। यह स्पष्ट है कि दूर-दराज के इलाकों में प्रवासी मज़दूर के रूप में काम करने वाले गरीब लोग विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ वोट देंगे। इसलिए, ऐसे सभी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की कोशिश की जा रही है।’’
उन्होंने यह भी दावा किया था कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि जिन लोगों के पास आधार कार्ड है, उनका नाम मतदाता सूची में कायम रहना चाहिए।
किशोर ने कहा, ‘‘साथ ही, निर्वाचन आयोग को यह समझना होगा कि उसे यह तय करने का कोई अधिकार नहीं है कि कौन नागरिक है और कौन नहीं। खैर, अगर 100 में से पाँच मतदाताओं के नाम भी हटा दिए जाएँ, तो भी बाकी 95 प्रतिशत राजग को करारी शिकस्त देने के लिए काफी होंगे।’’
भाषा नेत्रपाल दिलीप
दिलीप
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