नयी दिल्ली, 17 अगस्त (भाषा) शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कर्नाटक के नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति से अलग होने के फैसले की बृहस्पतिवार को निंदा करते हुए इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया और कहा कि शिक्षा को प्रगति का प्रकाश स्तम्भ होना चाहिए, राजनीति का प्यादा नहीं।
प्रधान ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट में लिखा कि कर्नाटक के नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को खारिज कर इससे अलग होने के राजनीति से प्रेरित फैसले की जानकारी से निराश हूं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी शिक्षा प्रणाली में उत्थान की जरूरत है, पीछे जाने की नहीं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति वर्षों के विचार विमर्श का परिणाम है जो सभी की आकांक्षाओं को प्रदर्शित करता है । यह फैसला कांग्रेस के सुधार विरोधी, भारतीय भाषा विरोधी और कर्नाटक विरोधी चरित्र को दर्शाता है।’’
प्रधान ने कहा, ‘‘कर्नाटक को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो प्रगति और समावेश को महत्व देता हो और क्षुद्र राजनीति को नहीं । ’’
उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को संबोधित करते हुए लिखा कि छात्रों को प्राथमिकता दें, क्षुद्र राजनीति बंद करें।
इससे पहले, सोमवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा था कि अगले शैक्षणिक सत्र से राज्य से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को समाप्त कर दिया जायेगा।
उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार एनईपी को समाप्त कर रही है जो पिछली भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार लायी थी।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘हम संविधान के अनुरूप शिक्षा प्रदान करने का प्रयास करेंगे।’’
कर्नाटक अपने यहां उच्च शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने में अग्रणी रहा है। उस समय कांग्रेस विपक्ष में थी और उसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आलोचना की थी।
भाषा दीपक
दीपक माधव
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