नई दिल्ली: भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया- एएससीआई) के सर्वेक्षण के हिस्से के रूप में निगरानी किए गए ‘आपत्तिजनक या भ्रामक’ विज्ञापनों में से 33 प्रतिशत शिक्षा क्षेत्र से जुड़े पाए गए, जो मुख्य रूप से एडटेक उद्यमों से संबंधित थे.
ये निष्कर्ष अप्रैल 2021-मार्च 2022 की अवधि के लिए विज्ञापनों की निगरानी करने वाली संस्था (एडवरटाइजिंग वॉचडॉग) की वार्षिक रिपोर्ट का वह हिस्सा हैं, जो भ्रामक दावों वाले लोगों सहित ‘आपत्तिजनक विज्ञापनों’ के बारे में शिकायतों को देखता है.
निगरानी किए गए ये विज्ञापन तीन श्रेणियों से संबंधित थे – वे जिनके बारें में दर्शकों से शिकायतें प्राप्त हुईं, वे जिन्हें उद्योग द्वारा चिन्हित किया गया और वे जिनके बारे में एएससीआई ने स्वत: संज्ञान लिया.
मंगलवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें से 16 प्रतिशत विज्ञापन स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से और 11 प्रतिशत निजी देखरेख (पर्सनल केयर) से संबंधित थे. इसमें कहा गया है कि कई प्रमुख फर्मों ने या तो एएससीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया था या उन्हें अपने विज्ञापनों में बदलाव करने के लिए कहा गया था.
इन विज्ञापनों में 8 प्रतिशत तक क्रिप्टो और गेमिंग जैसी नई श्रेणियों के विज्ञापन थे.
एएससीआई का कहना है कि ‘जैसे-जैसे विज्ञापन तेजी से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट होते जा रहे हैं, भ्रामक प्रचार सामग्री वाले विज्ञापनों की निगरानी का काम अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है. ‘
विज्ञापनों को अब तेजी के साथ व्यक्तिगत स्क्रीन पर परोसा और उपभोग किया जाता है, जिससे नियामकों के लिए इन विज्ञापनों के पैमाने और प्रभाव को वास्तविक रूप में समझना मुश्किल हो जाता है.
इसमें कहा गया है, ‘विज्ञापन संबंधी रचनात्मक इकाइयों की मात्रा में भारी वृद्धि है और यह अनुमान है कि एक औसत व्यक्ति प्रति दिन 6,000-10,000 विज्ञापनों के संपर्क में आता है.’
रिपोर्ट के अनुसार, एएससीआई ने प्रिंट, डिजिटल और टेलीविज़न में 5,532 विज्ञापनों को प्रोसेस किया, और 2020-2021 की तुलना में 62 प्रतिशत अधिक विज्ञापनों को प्रोसेस किया गया. इसके बाद शिकायतों में 25 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई. इसके साथ ही एएससीआई ने 94 प्रतिशत की समग्र अनुपालन दर का भी उल्लेख किया.
शिक्षा क्षेत्र में नियमों के उल्लंघन में हुई वृद्धि को देखते हुए, एएससीआई ने एडटेक कंपनियों के सभी विज्ञापनों पर एक अलग अध्ययन की योजना बनाई है.
इसके बारे में बताते हुए एएससीआई की सीईओ मनीषा कपूर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि ‘शिक्षा हमेशा से एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है और एक चीज जिसे हमें इस संदर्भ में देखने की जरूरत है, वह यह है कि कुछ अन्य श्रेणियों या ब्रांडों के विपरीत शिक्षा इस देश में हर एक उपभोक्ता के संपर्क में आती है.’
उन्होने कहा, ‘यह विशेष रूप से एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें काफ़ी अधिक चिंताएं शामिल हैं और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण है.’ उन्होंने बताया कि एडटेक कंपनियों के पास बड़े-बड़े बजट हैं, वे कई प्लेटफार्मों पर मौजूद हैं और ‘ये नई कंपनियां स्थानीय और क्षेत्रीय दर्शकों की सेवा कर रही हैं.’
उन्होंने कहा, ‘नौकरी की गारंटी और कुछ खास अंक या टेस्ट्स जैसा वादा करने वाली चीजें ठीक नहीं हैं हां, हम एडटेक के साथ जुड़ी एक चिंता को देखते हैं और इसलिए हम एक ऐसे अध्ययन पर काम कर रहे हैं जो सभी एडटेक विज्ञापनों का ऑडिट करेगा. यह अध्ययन इनकी थीम (विषय वस्तु) और भ्रामक दावों का विश्लेषण करेगा.’
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डिजिटल विज्ञापन
इस साल फरवरी में, जापानी विज्ञापन और पीआर फर्म डेंट्सू की एक रिपोर्ट ने उन संख्याओं का हवाला दिया गया था जो डिजिटल मीडिया के बाजार के आकार में वृद्धि का सुझाव देते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘[भारत में] डिजिटल मीडिया के 2023 तक 35,809 करोड़ रुपये के बाजार वाले आकार तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 2023 तक टीवी विज्ञापन के पहले अभेदय माने जाने किले के बराबर (यदि इसके पार नहीं जा सका तो) होगा.
एएससीआई के अनुसार, इसके द्वारा प्रोसेस किए गए विज्ञापनों में से 48 प्रतिशत डिजिटल थे, और पिछले एक साल में डिजिटल विज्ञापनों की मात्रा और पहुंच में काफ़ी वृद्धि हुई है. इस रिपोर्ट में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बढ़ते इन्फ्लुयेन्सर (सोशल मीडिया पर प्रभाव पैदा करे वाले लोग) बाजार का भी उल्लेख किया गया है.
इसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल शिकायतों में से 29 प्रतिशत शिकायतें इन्फ्लुयेन्सर्स के खिलाफ थीं.
एड वॉचडॉग ने नई तकनीक और छानबीन के नये तरीकों के साथ डिजिटल विज्ञापनों की निगरानी की आवश्यकता के बारे में भी बात की है.
यह कहती है, ‘एएससीआई … ने डिजिटल निगरानी में महत्वपूर्ण निवेश किया – चाहे यह उन 3,000 वेबसाइटें के बारे में हों जिनकी हमने निगरानी की थी, या हमारे द्वारा किए गए छद्म रूप में पेश किए गये विज्ञापनों की एआई-एनेबल्ड पहचान हो. इन सब से विज्ञापनदाताओं और शिकायतों की प्रकृति के संदर्भ में एक बहुत ही अलग दिखने वाला परिदृश्य सामने आया है. भले ही हम टीवी और प्रिंट पर भी अपनी नज़र रखे हुए हैं परंतु साल 2021-22 डिजिटल-केंद्रित दिशानिर्देशों, निगरानी और अनुपालन के एक नए युग का प्रतीक है.’
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