नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ने दिल्ली के पत्रकार प्रशांत कनौजिया और नोएडा में स्थित टीवी चैनल नेशनल लाइव के संपादक और हेड अनुज शुक्ला और इशिता सिंह की उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई गिरफ्तारी की कड़ी निंदा की है.
अपने बयान में एडिटर्स गिल्ड ने कहा है, ‘पुलिस की कार्रवाई सख्त और कानून का मनमाना दुरुपयोग है. गिल्ड इसे प्रेस को डराने, और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रोकने के प्रयास के रूप में देखता है.’
प्रशांत को ट्विटर पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ ‘संबंध’ बनाने का दावा करने वाली महिला का वीडियो पोस्ट करने का आरोप लगा है. जबकि नेशन लाइव के हेड और संपादक पर उस विडियो को प्रसारित करने का आरोप है.
एडिटर्स गिल्ड ने जारी अपने बयान में कहा, ‘महिला के दावों की प्रमाणिकता जो भी हो, सोशल मीडिया पर इसे साझा करने और इसे टेलीविजन चैनल पर प्रसारित करने के लिए पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करना कानून का दुरुपयोग है. गिरफ्तारी के लिए पुलिस को अधिकार देने के लिए, आईटी अधिनियम की धारा 66 के प्रावधानों को भी जोड़ा गया है. जोकि कानून और राज्य की शक्ति का दुरुपयोग है.’
बता दें कि कनौजिया की गिरफ्तारी को लेकर इंडियन वुमेन प्रेस कॉर्प्स, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, साउथ एशियन वुमेन इन द मीडिया और प्रेस एसोसिएशन ने भी कड़ी निंदा की है. पत्रकारों की इन संस्थाओं ने उत्तर प्रदेश सरकार ने मांग की है कि इन तीनों पत्रकारों के खिलाफ की गई कार्रवाई के खिलाफ और आपराधिक मानहानि के आरोपों पर पुनर्विचार करना चाहिए.
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गिल्ड ने कर्नाटक अखबार विश्ववाणी के प्रधान संपादक विश्वेश्वर भट की गिरफ्तारी की ओर इशारा किया, जिसमें बताया गया था कि मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल ने अपने दादा और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के साथ शराब के नशे में हंगामा किया था.
भट के खिलाफ प्राथमिकी जनता दल (सेक्युलर) के नेता प्रदीप गौड़ा की शिकायत पर दर्ज की गई थी.
गिल्ड ने ध्यान दिलाया कि कर्नाटक मामले की तरह, ‘इस (कनौजिया ) मामले में भी एफआईआर भी कथित रूप से प्रभावित व्यक्ति द्वारा दायर नहीं की गई है, बल्कि पुलिस द्वारा मुकदमा दायर किया गया.’
इसने बताया कि प्रशांत कनौजिया मामले में आईटी अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रावधान लागू किए गए हैं, ‘जो कि बदले की भावना से की गई कार्रवाई की ओर इशारा करता है.’
बता दें, स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत कनौजिया को 6 जून को ट्विटर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से एक वीडियो कथित तौर पर शेयर किया था. जिसके बाद शनिवार को उनके दिल्ली के मंडावली स्थित आवास से दोपहर 12:30 बजे यूपी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लखनऊ ले जाया गया. लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर में प्रशांत पर आईटी एक्ट की धारा 66 और मानहानि की धारा (आईपीसी 500) लगाई गई है. एफआईआर की कॉपी में लिखा है कि शिकायतकर्ता का आरोप है कि प्रशांत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ‘आपत्तिजनक टिप्पणी करके उनकी छवि धूमिल करने का प्रयास किया है.’
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