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Thursday, 25 April, 2024
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एडिटर्स गिल्ड ने महिला पत्रकारों के ऑनलाइन उत्पीड़न की निंदा की, बताया इसे ‘दुखद’

गिल्ड का कहना है कि मौजूदा सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों पर कम से कम 2 ओपन सोर्स ऐप के जरिए संगठित ट्रोलिंग और उत्पीड़न व मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के जरिए निशाना बनाया गया.

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नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सोमवार को देश में ‘महिला पत्रकारों के लगातार ऑनलाइन उत्पीड़न’ की निंदा करते हुए कहा कि ‘यह सभी लोकतांत्रिक मानदंडों का उपहास है, और कानून का उल्लंघन है.’

दि वायर की जांच से पता चला है कि ‘कम से कम दो ओपन सोर्स ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी’ की और एक ऐप, जो कि अच्छी तरह से वित्त पोषित नेटवर्क टेक फॉग के जरिए ‘संगठित ट्रोलिंग और उत्पीड़न’ किया गया, ईजीआई का कहना है इन हमलों में ‘उन पत्रकारों को निशाना बनाया गया जो वर्तमान सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं’.

गिल्ड ने नरेंद्र मोदी सरकार से ‘इस गलत और अपमानजनक डिजिटल इको-सिस्टम को तोड़ने और खत्म करने के लिए’ तुरंत कदम उठाने की मांग की है.

ईजआई के पूरे बयान को यहां पढ़ें:

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया महिला पत्रकारों के लगातार ऑनलाइन उत्पीड़न की निंदा करता है, जिसमें उन्हेंं निशाना बनाकर और संगठित ऑनलाइन ट्रोलिंग के साथ-साथ यौन शोषण के लिए धमकाना भी शामिल है. इससे भी ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इनमें से ज्यादातर हमलों में उन पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है, जो वर्तमान सरकार और सत्ताधारी दल के मुखर आलोचक रहे हैं, इस तरह के हमले उन्हें धमकी के तहत चुप कराने की कोशिश मेंका प्रयास हैं. यह सभी लोकतांत्रिक मानदंडों का मजाक, और कानूनी तौर पर उल्लंघन है.

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इस तरह के संगठित ट्रोलिंग और उत्पीड़न के ताजा उदाहरण द वायर द्वारा की गई जांच से सामने आए हैं, जिसने एक एक व्यापक और अच्छी तरह से वित्त पोषित नेटवर्क का खुलासा किया है, जो कि एक ऐप, टेक फॉग को लेकर बनाया गया है. इसके जरिए निशाना बनाए गए पत्रकारों को जहरीले संदेश भेजने के लिए, इस्तेमाल न होने वाले व्हाट्सएप अकाउंट को चुरा लिया जाता है. इन गहरे से आहत करने वाले संदेशों का मकसद उनमें डर पैदा करना होता है और उन्हें खुद की स्वतंत्र अभिव्यक्ति और उनके काम को रोकना होता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई महिला पत्रकारों को हजारों अभद्र शब्दों वाले ट्वीट का शिकार होना पड़ा.

GitHub प्लेटफॉर्म पर कम से कम दो ओपन सोर्स ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के ताजा उदाहरण भी थे, जिनमें सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकार भी शामिल थे. हालांकि कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने इस तरह के ऐप के पीछे कथित तौर पर होने वाले लोगों को गिरफ्तार किया है, इस तरह के घृणित कामों के पीछे उन सभी लोगों को न्याय के दायरे में लाना सुनिश्चित करने के लिए आगे जांच की जरूरत है. यहां तक कि जो लोग गिरफ्तार नहीं किए गए हैं, उन्हें भी न्याय के दायरे में लाना है.

एडिटर्स गिल्ड ने मांग की है कि सरकार इस गलत और अपमानजनक डिजिटल इको-सिस्टम को तोड़ने और खत्म करने के लिए तुरंत कदम उठाए, और इसके पीछे दोषियों और संस्थाओं की पहचान करने और उन्हें सजा देने के लिए गहराई से जांच करे. इसके अलावा, आरोपों को देखते हुए कि टेक फॉग ऐप के साथ सत्ताधारी पार्टी से जुड़े प्रभावशाली लोगों की भागीदारी हो सकती है, गिल्ड ने मांग की है कि भारत का सुप्रीम कोर्ट मामले का स्वत: संज्ञान ले और इसकी जांच का आदेश दे.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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