नई दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) ज्यादातर कंपनियां हरित प्रमाणन वाली इमारतों को पट्टे पर लेने के लिए अधिक भुगतान करने को तैयार हैं। संपत्ति सलाहकार जेएलएल की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनियों के लिए आज किराये और गंतव्य के साथ किसी इमारत का पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल होना एक महत्वपूर्ण कारक बन गया है।
जेएलएल की रिपोर्ट ‘‘पर्यावरण अनुकूल रियल एस्टेट : हरित भविष्य के लिए भारत की प्रतिक्रिया’ में कहा गया है कि आज रियल एस्टेट का हरित या पर्यावरणानुकूल होना मुख्यधारा में आ गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘भारत में दस में से नौ लोगों का मानना है कि कॉरपोरेट रियल एस्टेट (सीआरई) और स्थिरता के बीच की कड़ी एक बोर्ड-स्तरीय एजेंडा है। सर्वेक्षण में शामिल 10 में से सात किरायेदारों के पास कॉरपोरेट हरित रणनीति के तहत कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य है।’’
सलाहकार कंपनी ने कहा कि हरित इमारतों की मांग आपूर्ति से अधिक रह सकती है। 10 में से सात कंपनियां हरित इमारतों को पट्टे पर लेने के लिए अधिक खर्च करने को तैयार हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘सभी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 40 प्रतिशत के योगदान के साथ रियल एस्टेट खुद को एक अधिक जिम्मेदार संपत्ति वर्ग में बदलने की कोशिश कर रहा है।’’
जेएलएल ने कहा कि अखिल भारतीय सर्वेक्षण में 87 प्रतिशत कारोबारियों ने और 78 प्रतिशत निवेशकों ने स्वीकार किया कि जलवायु जोखिम से वित्तीय जोखिम का खतरा है।
हरित भवनों की अधिक मांग के कारण आज ‘रेट्रोफिटिंग’ यानी इमारतों को हरित बनाने के लिए बदलाव सबसे बड़ी चुनौती और अवसर दोनों है। आधे इमारत मालिक (10 में से 5) सक्रिय रूप तरीके से रेट्रोफिटिंग कराना चाहते हैं।
जेएलएल के प्रबंध निदेशक- वर्क डायनेमिक्स, पश्चिम एशिया संदीप सेठी ने कहा, ‘‘सामान्य रूप से सतत भविष्य और विशेष रूप से महत्वाकांक्षी शुद्ध-शून्य प्रतिबद्धताओं को सहयोगी दृष्टिकोण और पारिस्थितिकी तंत्र को साथ लाए बिना हासिल नहीं किया जा सकता। सर्वेक्षण में 96 प्रतिशत हितधारक इस बात से सहमत हैं कि इन महत्वाकांक्षाओं को प्राप्त करने में प्रेरकों, निवेशकों, डेवलपर्स और कब्जा लेने के बीच सहयोग महत्वपूर्ण होगा।’’
भारत में कंपनियां उन व्यावसायिक पार्कों का चयन करना चाहती हैं जहां सतत व्यवहार और हरित प्रमाणन का एकीकरण होता है।
इंडिया सॉथबीज इंटरनेशनल रियल्टी के कार्यकारी निदेशक गगन रणदेव ने कहा कि हरित कार्यालय भवनों को लेकर आज मोलभाव की स्थिति नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘वे न केवल ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि उनके ऊर्जा, पानी और परिचालन लागत की बचत जैसे स्पष्ट आर्थिक लाभ भी हैं।’’
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