नयी दिल्ली, 23 मई (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) गिरीश चंद्र मुर्मू ने सोमवार को कहा कि लेखा परीक्षकों को ई-सरकारी व्यवस्था में सुधार को लेकर सरकार की मदद के लिये जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए। इसमें मुख्य रूप से निजता, प्रदर्शन और भागीदारी (3पी) शामिल हैं।
मुर्मू ने सर्वोच्च ऑडिट संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन (आईएनटीओएसएआई) के आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) ऑडिट पर कार्यसमूह (डब्ल्यूजीआईटीए) के अध्यक्ष के रूप में डिजिटल रूप से आयोजित सेमिनार का उद्घाटन करने के बाद यह बात कही।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, उन्होंने कहा कि लेखा परीक्षकों की ई-संचालन व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका है। वे सरकार को निजता, प्रदर्शन और भागीदारी यानी तीन ‘पी’ के प्रबंधन के बारे में जरूरी जानकारी देकर यह भूमिका निभा सकते हैं। यह तीनों ई-संचालन व्यवस्था के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।
कैग ने कहा कि अगर ई-संचालन व्यवस्था के मुख्य लाभार्थी देश के आम लोग हैं, तब प्रौद्योगिकी में उन्नति के लाभों को समान रूप से साझा किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में हम अंत्योदय के सिद्धांत का अनुकरण करते हैं। इसका मतलब है कि कोई भी पीछे नहीं रहे।’’
वर्ष 1989 में गठित आईएनटीओएसएआई के आईटी ऑडिट पर कार्यसमूह के दुनियाभर में लगभग 63 प्रमुख ऑडिट संस्थान (एसएआई) सदस्य हैं।
मुर्मू ने कहा कि 21वीं सदी में संचालन व्यवस्था में उल्लेखनीय डिजिटलीकरण हुआ है। इससे सरकार के स्तर पर कामकाज में महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। सबसे महत्वपूर्ण, इससे लोगों की भागीदारी बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि जहां ई-सरकारी प्रणालियां जीवन को सुगम बनाती हैं, वहीं आंकड़ों की गोपनीयता, राष्ट्रीय सूचना सुरक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं प्रदान करने के संबंधित जोखिम को लेकर चिंताएं भी पैदा करती हैं। ऐसे में सर्वोच्च लेखा संस्थानों (साई) के लिए नई चुनौतियां और अवसर पैदा हुए हैं।
मुर्मू ने सूचना प्रौद्योगिकी ऑडिट पर कार्यसमूह की उपलब्धियों की सराहना भी की।
कार्यसमूह ने विभिन्न आईटी संबंधित विषयों पर चल रही परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की है। इसमें साइबर सुरक्षा और आंकड़ा संरक्षण चुनौतियां आदि शामिल हैं।
भाषा
रमण अजय
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