मुंबई, 18 अप्रैल (भाषा) देश की शीर्ष 50 कंपनियों में से सिर्फ 29 कंपनियों के ही पास संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के हिस्से के तौर पर कार्बन-तटस्थ बनने का एक समयबद्ध लक्ष्य है।
हुरुन इंडिया की तरफ से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की शीर्ष 50 में से सिर्फ 14 कंपनियों ने ही सभी 17 सतत विकास लक्ष्यों के तहत अपनी उपलब्धियों की जानकारी दी है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने ये लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
शून्य-कार्बन उत्सर्जन वाली कंपनी बनने के लिए समयसीमा की घोषणा को वर्ष 2070 तक कार्बन-तटस्थ बनने के भारत के घोषित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए काफी अहम माना जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शीर्ष 50 कंपनियों में से सिर्फ 29 कंपनियों के ही पास इस लक्ष्य को हासिल करने का एक समयबद्ध कार्यक्रम है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों आईटीसी एवं इन्फोसिस ने इस लक्ष्य को क्रमशः 2006 एवं 2020 में ही हासिल कर लिया था।
यह रिपोर्ट कहती है कि सिप्ला और अडाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन वर्ष 2025 तक कार्बन तटस्थता का लक्ष्य हासिल कर लेने की ओर बढ़ लेंगी। इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा, अल्ट्राटेक सीमेंट, हिंदुस्तान जिंक और टेक महिंद्रा ने उत्सर्जन में कटौती के लिए आंतरिक स्तर पर कार्बन मूल्य निर्धारण नीति लागू की हुई है।
आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी ग्रासिम इंडस्ट्रीज भूख से मुक्ति, लैंगिक समानता, जलवायु संबंधी कदम, जिम्मेदारी भरे उपभोग एवं उत्पादन जैसे सतत विकास लक्ष्यों के लिए अपने प्रयासों के साथ सूची में सबसे ऊपर है। ग्रासिम के बाद टेक महिंद्रा का स्थान आता है।
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड आठ एसडीजी मानकों पर समयबद्ध लक्ष्य हासिल कर सबसे आगे रही है। उसके बाद सात लक्ष्यों के साथ टेक महिंद्रा और आईटीसी को स्थान दिया गया है।
हुरुन इंडिया के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य शोधकर्ता अनस रहमान जुनैद ने कहा, ‘‘यह सूची बताती है कि भारतीय कंपनी जगत सतत विकास लक्ष्यों को रिपोर्ट करने एवं व्यवस्थित आकलन के लिए सक्रियता से ढांचागत कदम उठा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि यह सूची अन्य कंपनियों को भी इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।’’
भाषा
प्रेम अजय
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