मुंबई, नौ मई (भाषा) पिछले दो साल लगातार उछाल के बाद अब इस्पात कीमतों में ठहराव आ रहा है।
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट से यह अनुमान लगाया गया है कि कमजोर सीजन के चलते इस्पात का दाम चालू वित्त वर्ष (2022-23) के अंत तक लगभग 60,000 रुपये प्रति टन पर कारोबार कर सकता है, जो पिछले महीने 76,000 रुपये प्रति टन के शिखर पर था।
क्रिसिल ने सोमवार को एक रिपोर्ट में कहा कि आपूर्ति में व्यवधान, विश्व स्तर पर कॉर्बन कटौती के उपायों को लेकर जारी अनिश्चितता, विशेष रूप से चीन में और रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न भू-राजनीतिक जोखिम के कारण कीमतें अभी भी ऊंची बनी हुई हैं, जिसके चलते कच्चे माल की लागत बढ़ गई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले महीने मानसून की शुरुआत से कीमतों में ‘करेक्शन’ की संभावना है। उस समय निर्माण कार्यों के लिए इस्पात की मांग में कमी आएगी। ऐसे में घरेलू मिलों को निर्यात की तुलना में घरेलू स्तर पर निचला प्रीमियम प्राप्त होगा।
एजेंसी के एसोसिएट निदेशक कौस्तव मजूमदार के अनुसार, मानसून और कम आकर्षक निर्यात के कारण कमजोर मांग के सीजन की शुरुआत का मतलब है कि घरेलू स्तर पर इस्पात की कीमतें नीचे आएंगी। मार्च, 2023 तक इस्पात का दाम घटकर 60,000 रुपये प्रति टन तक आ सकता है। यह पिछले महीने हासिल 76,000 रुपये प्रति टन के स्तर से काफी कम होगा।
भाषा रिया अजय
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