नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) भारत ने बुधवार को कहा कि कुल खपत की तुलना में रूस से ऊर्जा की खरीद बहुत कम है। जो वैध ऊर्जा का व्यापार है, उसका राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता क्योंकि रूस से ऊर्जा के निर्यात पर अबतक कोई पाबंदी नहीं लगी है।
दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल उपभोक्ता और आयातक देश ने आयात स्रोतों को व्यापक बनाने के इरादे से हाल के सप्ताह में रूस में उपलब्ध कुछ तेल की खरीद की है। इस खरीद को लेकर टिप्पणियां की गयी हैं।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस प्रकार की रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया में बयान जारी कर कहा, ‘‘भारत के वैध ऊर्जा कारोबार का राजनीतिकरण नहीं किया जा सकता…ऊर्जा प्रवाह पर अभी पाबंदी नहीं लगायी गयी है।’’
बयान के अनुसार, रिपोर्ट में भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों के रूस से कच्चे तेल की नियमित खरीद मामले में बिना ठोस प्रमाण के अटकलें लगायी गयी हैं और इसे सनसनीखेज बनाने की कोशिश की गयी है। ‘‘यह कुछ और नहीं बल्कि पहले से ही नाजुक वैश्विक तेल बाजार को और अस्थिर बनाने के सुनियोजित प्रयास का एक हिस्सा है।’’
पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा, ‘‘लगभग 50 लाख बैरल की दैनिक खपत और 25 करोड़ टन सालाना की रिफाइनिंग क्षमता के साथ भारत की ऊर्जा की जरूरतें काफी अधिक हैं। ऊर्जा सुरक्षा के अपने उद्देश्य को पूरा करने को लेकर भारतीय ऊर्जा कंपनियां दुनिया के सभी प्रमुख तेल उत्पादकों से ईंधन खरीदती हैं।’’
बयान के मुताबिक, ‘‘हमारे 10 प्रमुख गंतव्यों में से ज्यादातर पश्चिम एशिया से हैं। हाल के दिनों में भारत के लिये अमेरिका कच्चे तेल का प्रमुख स्रोत बना है। वह करीब 13 अरब डॉलर मूल्य के ऊर्जा आयात की आपूर्ति कर रहा है। कच्चे तेल के आयात में उसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 7.3 प्रतिशत है।’’
बयान में कहा गया है कि कुछ तेल आपूर्तिकर्ता ऊंची कीमतें ले रहे हैं और यह भारत को खरीद के अपने स्रोतों को विविध बनाने को प्रेरित करता है।
मंत्रालय के अनुसार, ‘‘भारत में ऊर्जा की मांग बनी हुई है। मौजूदा मूल्य स्तरों पर, पड़ोस के कई देशों में ईंधन की भारी कमी है। ईंधन की ऊंची कीमत के कारण महंगाई बढ़ रही है, जिससे अव्यवस्था की स्थिति पैदा हुई है।
बयान में कहा गया है, ‘‘चुनौतीपूर्ण समय के बावजूद सरकार ने भारतीय नागरिकों के लिए सस्ती ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित की है।’’
मंत्रालय ने कहा कि भारतीय ऊर्जा कंपनियां पिछले कई साल से रूस से ऊर्जा खरीदती रही हैं। हालांकि, विभिन्न कारणों से सालाना आंकड़े अलग-अलग हो सकते हैं।
रूस से खरीद को जायज ठहराते हुए बयान में कहा गया है, ‘‘भारत कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। बाजार में पहले से दबाव है, ऐसे में अचानक से विविध स्रोतों में कटौती से उतार-चढ़ाव तथा अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न होगी तथा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के दाम और बढ़ेंगे।
बयान के अनुसार, ‘‘… रूस से ऊर्जा की खरीद भारत की कुल खपत की तुलना में बहुत कम है।’’ इसमें अन्य देशों पर ध्यान देने को कहा गया है, जो रूस से आपूर्ति की जाने वाली ऊर्जा के प्रमुख उपभोक्ता हैं।
मंत्रालय ने कहा कि कि रूस से भारतीय खरीद पर अटकलें सट्टेबाजों समेत ‘निहित स्वार्थी तत्वों के हितों को पूरा करेंगी। इससे कुल मिलाकर वैश्विक आर्थिक पुनरुद्धार पर नकारात्मक असर होगा।
भाषा रमण अजय
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