नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने सोमवार को प्राकृतिक खेती को समय की जरूरत बताते हुए कहा कि रसायनों और उर्वरकों के उपयोग के कारण खाद्यान्न उत्पादन की लागत बढ़ गई है।
कांत ने नीति आयोग की तरफ से नवप्रवर्तन कृषि पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अब गेहूं और चावल का निर्यातक बन चुका है। उन्होंने कहा, ‘प्राकृतिक खेती समय की जरूरत है और यह महत्वपूर्ण है कि हम वैज्ञानिक तरीकों की पहचान करें जिससे हम सुनिश्चित कर सकें कि किसान इससे सीधे लाभान्वित हो सकें जिससे उनकी आय में वृद्धि हो।’
कांत ने कहा, ‘रसायनों और उर्वरकों के अधिक उपयोग के कारण खाद्यान्नों और सब्जियों के उत्पादन की लागत बढ़ गई है।’
प्राकृतिक खेती एक रसायनों से मुक्त कृषि की पद्धति है। इसे एक कृषि-पारिस्थितिकी पर आधारित विविध कृषि प्रणाली के रूप में देखा जाता है। यह जैव विविधता के साथ फसलों, पेड़ों और मवेशियों को भी समाहित करते हुए चलती है।
इस कार्यक्रम में नीति आयोग के सदस्य (कृषि) रमेश चंद ने कहा कि प्राकृतिक खेती के जैविक खेती, विविधीकरण और कृषि संबंधी खेती जैसे कई तरीके हैं जिन्हें अपनाया जा सकता है। उन्होंने कहा,
‘हमारे साझा अनुभवों के माध्यम से, प्रत्येक तरीके के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं को समझना महत्वपूर्ण है।’
भाषा प्रेम
प्रेम
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.