मुंबई, 29 अप्रैल (भाषा) देश में मध्यम अवधि में 6.5-8.5 फीसदी की टिकाऊ आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए संरचनात्मक सुधार एवं कीमतों में स्थिरता होना बेहद जरूरी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
आरबीआई की वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मुद्रा एवं वित्त पर जारी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौद्रिक एवं राजकोषीय नीति के बीच समय-समय पर संतुलन बनाए रखना स्थिर वृद्धि की दिशा में पहला कदम होना चाहिए।
हालांकि केंद्रीय बैंक ने साफ किया है कि यह रिपोर्ट उसकी अपनी राय नहीं है बल्कि रिपोर्ट तैयार करने वाले अंशदाताओं के विचारों का प्रतिनिधित्व करती है।
इस रिपोर्ट में कई संरचनात्मक सुधारों का सुझाव दिया गया है। इसमें मुकदमेबाजी के झंझट से मुक्त कम लागत वाली जमीन तक पहुंच बढ़ाने, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाकर और स्किल इंडिया मिशन के जरिये श्रम की गुणवत्ता सुधारने और नवाचार एवं प्रौद्योगिकी पर केंद्रित शोध-विकास गतिविधियां बढ़ाने का सुझाव शामिल है।
इसके अलावा रिपोर्ट ने स्टार्टअप और यूनिकॉर्न के लिए अनुकूल माहौल बनाने, अक्षमताओं को बढ़ावा देने वाली सब्सिडी को तर्कसंगत बनाने और आवासीय एवं भौतिक ढांचे में सुधार कर शहरी समुदायों को प्रोत्साहन देने का भी सुझाव दिया है।
रिपोर्ट कहती है कि भारत को महामारी की वजह से उत्पादन, आजीविका एवं जिंदगियों के मामले में बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है और इससे उबरने में कई साल लग सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘आर्थिक गतिविधियां दो साल बाद भी मुश्किल से कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच पाई हैं। भारत की आर्थिक बहाली महामारी के आघातों के अलावा गहरी संरचनात्मक चुनौतियों का भी सामना कर रही है।’
इस बीच रूस एवं यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध ने भी आर्थिक पुनरुद्धार की रफ्तार को धीमा कर दिया है। युद्ध के कारण जिंसों के दाम बढ़ने, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य कमजोर होने और सख्त वैश्विक वित्तीय हालात ने भी मुश्किलें पैदा की हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस पृष्ठभूमि में भारत का मध्यम अवधि का वृद्धि परिदृश्य संरचनात्मक गतिरोधों को दूर करने और वृद्धि के नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए उठाए जाने वाले नीतिगत कदमों पर काफी निर्भर करता है।
रिपोर्ट कहती है कि भारत के लिए मध्यम अवधि में 6.6-8.5 फीसदी की स्थिर वृद्धि रहना व्यवहार्य है। इसके लिए समय-समय पर मौद्रिक एवं राजकोषीय नीतियों में संतुलन साधना होगा। इसके अलावा कीमतों में स्थिरता भी एक अहम पहलू होगा।
भाषा
प्रेम रमण
रमण
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