नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) सरकार ने भरोसा दिलाया है कि खरीफ फसलों की बुवाई के मौसम में उर्वरक की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने मंगलवार को कहा कि वह चालू वित्त वर्ष के लिए गैर-यूरिया उर्वरकों पर दी जाने वाली सब्सिडी की घोषणा जल्द ही करेगी।
दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ जून से शुरू हो जाने वाली खरीफ फसलों की बुवाई से संबंधित तैयारियों पर आयोजित एक सम्मेलन में उर्वरक सचिव आर के चतुर्वेदी ने कहा कि किसानों को सस्ती कीमत पर उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार कदम उठा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उर्वरकों के आयात के लिए वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं के साथ अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के समझौते किए हैं। इसकी वजह से खरीफ सत्र में उर्वरकों की कोई कमी नहीं होगी।’’
हालांकि, उन्होंने यह कहा कि जनवरी, 2021 से मौजूदा भू-राजनीतिक स्थिति के कारण उर्वरकों की वैश्विक कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। इसे ध्यान में रखते हुए एक अंतर-मंत्रालयी समिति ने चालू वित्त वर्ष के लिए फॉस्फेट और पोटैशियम (पीएंडके) उर्वरकों के लिए नई सब्सिडी दर की सिफारिश की है।
उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल जल्द ही इस प्रस्ताव पर विचार करेगा और पोषक तत्व पर आधारित नई सब्सिडी दर को इस साल एक अप्रैल की तारीख से लागू कर दिया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में यूरिया की कीमतें एक साल पहले की तुलना में इस वर्ष अप्रैल में 145 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं जबकि डीएपी 66 फीसदी, एमओपी 116 फीसदी, सल्फर 102 फीसदी और फॉस्फेट 134 महंगा हो चुका है।
उन्होंने कहा कि इस साल के खरीफ मौसम में उर्वरक की कुल जरूरत 354.34 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि इसकी उपलब्धता 485.59 लाख टन की होगी। इसमें 104.72 लाख टन उर्वरक का आयात किया जाएगा जबकि 254.79 लाख टन उर्वरक घरेलू स्तर पर बनी होगी।
इस वर्ष खरीफ सत्र में यूरिया की उपलब्धता 256.22 लाख टन होने का अनुमान है जो कि 179 लाख टन की अनुमानित जरूरत से अधिक होगी। इसी तरह डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) की 58.82 लाख टन की अनुमानित जरूरत के मुकाबले 81.42 लाख टन उपलब्धता होने का अनुमान है।
वहीं पोटाश (एमओपी) की भी उपलब्धता 29.03 लाख टन रहने का अनुमान है जो 19.81 लाख टन की अनुमानित जरूरत से अधिक होगा। एनपीके उर्वरक की अनुमानत जरूरत 63.71 लाख टन के मुकाबले इसकी उपलब्धता 63.71 लाख टन रहेगी।
उन्होंने बताया कि आगामी खरीफ सत्र के लिए लगभग 104.72 लाख टन उर्वरकों का आयात किए जाने का अनुमान है। इसमें 40 लाख टन यूरिया, 29 लाख टन डीएपी, 23.18 लाख टन एमओपी और 13.22 लाख टन एसएसपी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने से ठीक पहले 22 फरवरी को भारत 3.60 लाख टन डीएपी एवं एनपीके की आपूर्ति हासिल करने में सफल रहा।
चतुर्वेदी ने कहा कि सऊदी अरब के साथ हुए अल्पकालिक समझौते के तहत वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सार्वजनिक उपक्रमों और कंपनियों ने कुल 25 लाख टन डीएपी एवं एनपीके के खरीद समझौते किए हैं। इसकी आपूर्ति शुरू भी हो गई है और हर महीने सऊदी अरब से 30,000 टन डीएपी आने की उम्मीद है।
चतुर्वेदी ने बताया कि कई घरेलू कंपनियों का डीएपी और एनपीके के साथ-साथ कच्चे माल के आयात के लिए मोरक्को की कंपनी ओसीपी के साथ दीर्घकालिक करार भी है। ओसीपी ने भारतीय कंपनियों को मौजूदा अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर इस साल 16.6 लाख टन डीएपी की आपूर्ति की पेशकश की है।
हालांकि, डीएपी निर्माण के लिए अमोनिया रूस से खरीदने के कारण मौजूदा जंग के हालात में उर्वरक की आपूर्ति पर असर पड़ा है। इसी तरह एमओपी के मामले में भी बेलारूस और रूस के खिलाफ लगे प्रतिबंधों से आपूर्ति प्रभावित होने से इसके दाम बढ़ गए हैं।
इस स्थिति में भारत पर पड़ने वाले असर पर उन्होंने कहा, ‘‘खरीफ मौसम के लिए पोटाश की उपलब्धता में कोई समस्या नहीं होगी। लेकिन अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी रहता है, तो रबी फसलों के समय कुछ समस्या हो सकती है।’’
भाषा प्रेम अजय
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