नयी दिल्ली, छह मई (भाषा) ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआईपीईएफ) ने कोयले की किल्लत के बीच केंद्र सरकार से इस ईंधन का आयात करने वाले राज्यों को मुआवजा देने का अनुरोध किया है।
एआईपीईएफ ने एक बयान में कहा, ‘‘हमने केंद्र सरकार से हर उस राज्य को मुआवजा देने का आग्रह किया है, जिन्हें घरेलू स्तर पर कोयले की कमी के कारण इसके आयात के लिए मजबूर होना पड़ा है।’’
एआईपीईएफ के प्रवक्ता वी के गुप्ता ने कहा कि महासंघ ने इस संबंध में केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह को पत्र भी लिखा है।
गुप्ता ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के बिजली उत्पादन संयंत्रों में कोयले की लागत करीब 5,500 रुपये प्रति टन है।
उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के कोयले की कीमत करीब 200 डॉलर प्रति टन या करीब 15,000 रुपये प्रति टन है। इसके अलावा, गुजरात में बंदरगाह से पंजाब और हरियाणा के संयंत्रों तक के लिए 3,300 रुपये प्रति टन का परिवहन शुल्क लगता है।
गुप्ता ने कहा इस आधार पर घरेलू और आयातित कोयले के बीच न्यूनतम लागत का अंतर लगभग 13,500 रुपये प्रति टन है।
एआईपीईएफ ने आरोप लगाया कि सरकार ने कोल इंडिया लिमिटेड पर अधिक लाभांश देने का दबाव डाला। इससे कोयला विकास कार्यक्रम पर असर पड़ा है।
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