नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) उर्वरक सब्सिडी चालू वित्त वर्ष में 55 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 2.5 लाख करोड़ पर पहुंच सकती है। इसका कारण सरकार को आयात मूल्य बढ़ने से लागत में होने वाली वृद्धि की भरपाई के लिए अतिरिक्त कोष उपलब्ध कराना होगा।
सूत्रों ने बृहस्पतिवार को बताया कि सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि देश में खरीफ और रबी सत्रों के दौरान उर्वरक की कमी नहीं हो। मिट्टी के प्रमुख पोषक तत्वों के आयात के लिए वह कई वैश्विक उत्पादकों से बात कर रही है।
उन्होंने बताया कि केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया उर्वरकों के लघु अवधि और दीर्घावधि आयात के लिए सऊदी अरब, ओमान और मोरक्को जैसे देशों की यात्रा पर जा सकते हैं।
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, ‘‘देश में उर्वरक की कोई कमी नहीं हो इसलिए सरकार कड़ी मेहनत कर रही है।’’ उन्होंने बताया कि मौजूदा खरीफ सत्र के लिए देश के पास उर्वरक का पर्याप्त भंडार है और रबी सीजन में भी कोई समस्या नहीं आएगी।
गौरतलब है कि उर्वरक की खपत रबी सीजन में 10-15 फीसदी अधिक होती है।
सूत्रों ने बताया कि सरकार यूरिया की खुदरा दरें नहीं बढ़ाएगी और पर्याप्त सब्सिडी भी देगी ताकि गैर-यूरिया उर्वरक के अधिकतम खुदरा दाम मौजूदा स्तर पर बने रहें।
उन्होंने बताया कि सरकार ने उर्वरक के बारे में बड़ा फैसला लिया है कि इसका बोझ किसानों पर नहीं डाला जाएगा। सब्सिडी के कारण यूरिया और डीएपी के बिक्री दाम अमेरिका, चीन और ब्राजील की तुलना में भारत में काफी कम हैं।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) सहित फॉस्फेट और पोटाश (पीएंडके) उर्वरकों के लिए बुधवार को 60,939.23 करोड़ रुपये की सब्सिडी को मंजूरी दी।
सरकार के शीर्ष अधिकारी ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सब्सिडी पर होने वाला खर्च 2.25-2.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। कोविड महामारी के कारण दुनियाभर में उर्वरक उत्पादन, आयात और परिवहन व्यवस्था प्रभावित हुई है। इसका असर भारत समेत कई देशों में नजर आ रहा है।’’
उर्वरकों पर 2021-22 में 1,62,132 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई थी जबकि 2013-14 में यह आंकड़ा 71,280 करोड़ रुपये था।
भारत 40 से 45 फीसदी फॉस्फेट का आयात चीन से करता है जिसने उत्पादन में कमी के कारण निर्यात घटा दिया है।
सूत्रों ने बताया कि महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान तथा रूस पर अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उर्वरक के दाम तेजी से बढ़े हैं। वहीं माल-भाड़ा भी चार गुना बढ़ गया है।
यूरिया के दाम भी अप्रैल 2022 में 930 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गए जो एक साल पहले 380 डॉलर प्रति टन थे। इसी तरह डीएपी की कीमतें भी 555 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 924 डॉलर प्रति टन हो गई।
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मानसी रमण
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