मुंबई, 26 अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों के एजेंट के रूप में काम करने वाले ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) को अपने पास उपलब्ध सभी कर्ज प्रस्तावों की जानकारी उधारकर्ताओं को देने का प्रस्ताव शुक्रवार को रखा।
आरबीआई ने कहा कि सभी कर्ज प्रस्तावों की जानकारी सामने होने पर संभावित कर्जदार के लिए फैसला करना आसान होगा।
कई एलएसपी ऋण उत्पादों के ‘एग्रीगेटर’ के तौर पर भी काम करते हैं। इस तरह उनके पास कई ऋण उत्पादों के बारे में जानकारी होती है।
एलएसपी विनियमित बैंकिंग इकाई (आरई) का एजेंट होता है जो ग्राहक जोड़ने, मूल्य-निर्धारण करने, निगरानी और विशिष्ट ऋण की वसूली या ऋण पोर्टफोलियो में मौजूदा आउटसोर्सिंग दिशानिर्देशों के अनुरूप काम करता है।
आरबीआई ने पिछले साल दिसंबर में एक मसौदा प्रारूप जारी किया था। उसमें कहा गया था कि ऋणदाता के निर्णय को नियंत्रित करने या प्रभावित करने की स्थिति में मौजूद लोगों को कर्ज देना चिंता का विषय हो सकता है।
मसौदा प्रारूप में कहा गया था कि इस तरह की उधारी में नैतिक खतरे का मुद्दा भी शामिल हो सकते हैं और मूल्य निर्धारण एवं ऋण प्रबंधन में एक तालमेल की स्थिति बन सकती है।
आरबीआई ने ‘डिजिटल ऋण- कर्ज उत्पादों में पारदर्शिता’ पर जारी एक मसौदा परिपत्र में कहा, ‘ऐसे मामलों में, खासकर जहां एलएसपी कई कर्जदाताओं के साथ जुड़ा है, संभावित ऋणदाता की पहचान उधारकर्ता को पहले से नहीं होनी चाहिए।’
मसौदा परिपत्र के मुताबिक, एलएसपी को कर्जदार की जरूरत को ध्यान में रखते हुए सभी इच्छुक कर्जदाताओं के पास उपलब्ध प्रस्तावों का डिजिटल ब्योरा मुहैया कराना चाहिए।
इस डिजिटल ब्योरे में कर्ज की पेशकश करने वाली इकाई का नाम, कर्ज की राशि और अवधि के अलावा वार्षिक प्रतिशत दर एवं अन्य शर्तों की जानकारी होनी चाहिए।
आरबीआई ने इस मसौदा प्रस्ताव पर 31 मई तक विभिन्न पक्षों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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