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Friday, 10 January, 2025
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कार्य-जीवन संतुलन आवश्यक है, वैकल्पिक नहीं: एलएंडटी प्रमुख के बयान पर उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

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नयी दिल्ली, 10 जनवरी (भाषा) इंजीनियरिंग एवं निर्माण कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यन के 90 घंटे के कार्य सप्ताह के सुझाव पर बहस जारी है। हर्ष मारीवाला, हर्ष गोयनका और राजीव बजाज जैसे उद्योगपतियों ने कहा है कि कामकाजी और निजी जिंदगी के बीच संतुलन वैकल्पिक नहीं है, बल्कि आवश्यक है, तथा सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करना काम के घंटों पर निर्भर नहीं करता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि यदि लम्बे समय तक काम करने की सुझाई गई प्रथा का पालन करना आवश्यक हो तो उसे ऊपर से शुरू करना होगा।

एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यन ने 90 घंटे के कार्य सप्ताह की वकालत करते हुए पूछा था कि ‘आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं।’ उन्होंने सुझाव दिया था कि कर्मचारियों को रविवार को भी छुट्टी छोड़ देनी चाहिए। उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी टिप्पणियां की गयी।

सुब्रमण्यन की टिप्पणी के बाद उनके पारिश्रमिक ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं का ध्यान आकर्षित किया है। सुब्रमण्यन का पारिश्रमिक कंपनी की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 51.05 करोड़ रुपये था। यह कंपनी के कर्मचारियों के औसत पारिश्रमिक का 534.57 गुना था।

आरपीजी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, “सप्ताह में 90 घंटे? रविवार का नाम बदलकर ‘सन-ड्यूटी’ क्यों न कर दिया जाए और ‘छुट्टी’ को एक काल्पनिक अवधारणा क्यों न बना दिया जाए!” गोयनका ने इस अवधारणा के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, “मैं कड़ी मेहनत और समझदारी से काम करने में विश्वास करता हूं, लेकिन जीवन को लगातार कार्यालय समय में बदल देना? यह सफलता नहीं, बल्कि थकान का नुस्खा है। कार्य-जीवन संतुलन वैकल्पिक नहीं है, यह आवश्यक है। खैर, यह मेरा विचार है…।’’

इस बहस में शामिल होते हुए मैरिको लिमिटेड के चेयरमैन हर्ष मारीवाला ने ‘एक्स’ पर लिखा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि कड़ी मेहनत सफलता की रीढ़ है, लेकिन यह काम किए गए घंटों के बारे में नहीं है। यह उन घंटों में दिखाई गई गुणवत्ता और जुनून के बारे में है।”

उन्होंने कहा, “अपने युवाओं को वास्तव में संलग्न और प्रेरित करने के लिए हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उन्हें ऐसी भूमिकाएं दी जाएं जो न केवल उन्हें चुनौती दें बल्कि वृद्धि और सीखने को भी बढ़ावा दें। जब कोई व्यक्ति ऐसा मार्ग देखता है जहां कड़ी मेहनत एक आशाजनक भविष्य में तब्दील हो जाती है, तो वे स्वाभाविक रूप से अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए इच्छुक होते हैं।”

एक टीवी चैनल के साथ ‘90 घंटे काम करने वाले सप्ताह’ पर अपने विचार साझा करते हुए बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने कहा, “इसे सबसे ऊपर से शुरू करें, और अगर यह अवधारणा के प्रमाण के रूप में काम करता है, तो इसे नीचे लागू करें।”

उन्होंने कहा कि काम के घंटों को मापना पुरातन और पिछड़ापन है।

भाषा अनुराग रमण

रमण

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यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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