नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) भारत का पवन ऊर्जा क्षेत्र 2030 तक 100 गीगावाट उत्पादन क्षमता हासिल करने के लिए क्षमता, प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण और कार्यबल विकास में निवेश कर रहा है। उद्योग निकाय आईडब्ल्यूटीएमए ने रविवार को यह बात कही है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की मार्च 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में देश में 50 गीगावाट से अधिक की स्थापित पवन ऊर्जा क्षमता है।
भारतीय पवन टर्बाइन निर्माता संघ (आईडब्ल्यूटीएमए) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आदित्य प्यासी ने कहा, ‘‘भारतीय पवन उद्योग सरकार के स्वच्छ ऊर्जा दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से जुड़ा हुआ है। हम 2030 तक 100 गीगावाट पवन ऊर्जा उत्पादन हासिल करने के लिए क्षमता, प्रौद्योगिकी, नवाचार और कार्यबल विकास में निवेश कर रहे हैं।’’
उद्योग निकाय ने बयान में कहा कि हाल ही में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक में आईडब्ल्यूटीएमए ने विनिर्माण को बढ़ाने, रोजगार पैदा करने और ‘मेक इन इंडिया’ (भारत में विनिर्माण करो) मिशन को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग की तत्परता को रेखांकित किया।
भारत में वर्तमान में पवन टर्बाइन और कलपुर्जों के लिए 18 गीगावाट से अधिक वार्षिक घरेलू विनिर्माण क्षमता है।
इस क्षेत्र के प्रमुख खिलाड़ियों में सुजलॉन, नॉर्डेक्स, विंडर, सेनवियॉन, एनविजन, सीमेंस गेमसा, फ्लेंडर, जेडएफ विंड पावर, आदित्य बिड़ला एडवांस्ड मैटेरियल्स, वेस्टास, जीई वर्नोवा और आईनॉक्स विंड शामिल हैं।
आईडब्ल्यूटीएमए ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में नवीकरणीय क्षेत्र की भर्तियों में 19 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। इसमें पवन ऊर्जा विनिर्माण, स्थापना, संचालन और रखरखाव क्षेत्र की हजारों नौकरियां शामिल हैं।
उद्योग निकाय ने बताया कि 55 प्रतिशत से अधिक कार्यबल 26 से 35 वर्ष के बीच है।
भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक है। पवन ऊर्जा ग्रिड की स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आईडब्ल्यूटीएमए ने इस क्षेत्र की पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए निरंतर नीतिगत समर्थन, सुव्यवस्थित विनियमन और बुनियादी ढांचे और परीक्षण सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
भाषा अजय अजय अनुराग
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