बिहार: भारत में पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण भारत-नेपाल बॉर्डर पर बसे गांवों के रास्ते साइकिल, बाइक पर गैलन में पेट्रोल-डीजल की तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं.
नेपाल में ईंधन की कीमत कम होने कारण बड़ी मात्रा में पेट्रोल-डीजल की तस्करी हो रही है जिस कारण सीमा के नजदीक पेट्रोल पंपों पर ग्राहकों की संख्या कम हो गई है वहीं भारतीय राजस्व को भी भारी नुकसान हो रहा है. हालांकि प्रशासन तस्करी पर अंकुश लगाने की बात कह रहा है.
बिहार के सुपौल जिला के कुनौली गांव और नेपाल के बीच स्थित एक पेट्रोल पंप के मालिक सौरभ गुप्ता पहले प्रतिदिन के हिसाब से पांच से छह हज़ार लीटर डीजल-पेट्रोल बेचते थे लेकिन इन दिनों उनकी ब्रिकी घटकर रोजाना 2-3 हज़ार लीटर पर ठहर गई है.
सौरभ गुप्ता ने दिप्रिंट से कहा, ‘कोरोना के बाद नेपाल सीमा बंद हो गया था. तब गांव के लोग गैर सरकारी तरीके से शराब और पेट्रोल लाते थे. अब तो सीमा खुल चुका है. इसलिए सड़क के माध्यम से ही लोग नेपाल जाते हैं और गाड़ी में तेल भरवा लेते हैं. साथ ही तस्करी अब और बढ़ती जा रही है क्योंकि नेपाल में टैक्स कम होने की वजह से कीमतें कम हैं और सीमा पर प्रशासन भी सख्त नहीं है.’
कुनौली नेपाल सीमा से 10 किमी से भी कम दूर है.
गुप्ता ने कहा, ‘अगर सरकार इसी तरह दाम बढ़ाती रहेगी और तस्करी पर लगाम नहीं लगेगा तो हम लोगों को पेट्रोल पंप बंद करने पड़ेंगे.’
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पेट्रोल-डीजल के लिए नेपाल जा रहे लोग
नेपाल और बिहार के बाल्मीकि नगर के बीच ‘बाल्मीकि नगर पेट्रोल पंप’ है, जो नेपाल से 11 किलोमीटर दूर स्थित है. इस पेट्रोल पंप के मालिक बांके बिहार ने दिप्रिंट को बताया, ‘नेपाल के नजदीक होने की वजह से यहां गिने-चुने पेट्रोल पंप हैं. लेकिन जब से देश में पेट्रोल का आंकड़ा शतक को छूने लगा तब से ग्राहकों की संख्या में 40 से 50 फीसदी कम हो गई है.’
‘अगर नेपाल सरकार के द्वारा भंसार (एक सरकारी कागजात जो बॉर्डर पार जाने की अनुमति देता है) की कीमत बढ़ा दी जाए और प्रशासन सख्त हो जाए तो तस्करी में कमी जरूर आएगी.’
बाल्मीकि नगर बॉर्डर के बाद नेपाल का पहला पेट्रोल पंप ‘नेपाल आयल नगर निगम लिमिटेड ‘ के मालिक अनिल झा बताते हैं, ‘भारत से सटे गांव के लोग पहले भी आते थे. हालांकि भारत में पेट्रोल की महंगाई के वजह से कुछ महीनों में ग्राहकों की संख्या ज्यादा बढ़ गई है.’
बिहार और नेपाल के बीच स्थित बाल्मीकि नगर के रहने वाले अभिषेक गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारे शहर बाल्मीकि नगर में पेट्रोल 106.51 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है. वहीं हमारे घर से 14 किलोमीटर दूर नेपाल में पेट्रोल 131.15 नेपाली करेंसी, यानी भारतीय करेंसी के हिसाब से 81.51 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल बिक रहा है. इसलिए हमारे गांव के अधिकतर लोग नेपाल जाकर टंकी फुल करा लेते हैं.’
बता दें कि वर्तमान विनिमय दर के हिसाब से 1 भारतीय रुपया 1.6016 नेपाली रुपया के बराबर है.
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भारत से खरीदकर जा रहा पेट्रोल-डीजल नेपाल में सस्ता क्यों?
नेपाल अपनी खपत के लिए सारे पेट्रोलियम पदार्थ भारत से ही खरीदता है. भारत से नेपाल तेल रिफाइन होकर जाता है. भारत केवल रिफाइनरी शुल्क ही लेता है. इंडियन ऑयल कार्पोरेशन खरीद मूल्य पर भी तेल देता है.
लेकिन भारत में जो भी तेल बिकता है, उस पर पहले केंद्र सरकार की 12 फीसद एक्साइज ड्यूटी फिर प्रदेश सरकार द्वारा स्पेशल वैट व इंट्री टैक्स लिया जाता है. प्रत्येक राज्य में अलग-अलग टैक्स निर्धारित है.
पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा वैट के रूप में टैक्स वसूलने वाला राज्य राजस्थान है. यहां पेट्रोल पर 36 फीसदी वैट राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है. इसके बाद मणिपुर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, केरल की सरकारें सबसे ज्यादा टैक्स लेती हैं. वहीं बिहार सरकार द्वारा पेट्रौल पर 26 फीसद वैट टैक्स लिया जाता है. ऐसे में बिहार के लोग करीब 49 रुपये टैक्स के रूप में दे रहा है.
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कैसे की जा रही है ‘तस्करी’
बाल्मीकि नगर के मनोज पटेल दवा व्यवसायी हैं, जो लगभग सप्ताह में तीन दिन अपने दुकान के लिए दवा खरीदने नेपाल जाते हैं. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘सस्ता डीजल-पेट्रोल खरीदने के लिए नेपाल जाना भारत की तरफ के सीमावर्ती इलाके के लोगों के लिए बहुत ही आसान है क्योंकि भारत की तरफ से नेपाल के लोगों के आने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.’
उन्होंने बताया, ‘सीमावर्ती गांवों के लोगों के लिए नेपाल जाना मुश्किल काम नहीं है. हालांकि मुख्य मार्ग जाने के लिए नेपाली प्रशासन ने खुली छूट नहीं दी है.’
नेपाल से सटे बाल्मीकि नगर के एक और व्यवसायी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, ‘शराबबंदी के बाद सीमा के उस बगल से शराब का धंधा तो चल ही रहा था लेकिन पेट्रोल महंगा होने के बाद अब इस धंधे में भी कैरियरों का जमकर सहारा लिया जा रहा है. कई बाइक सवार भारत से नेपाल जा रहे हैं और वहां से पेट्रोल की टंकी फुल कराकर वापस भारत में आकर उसे खाली कर अगले दिन फिर वही धंधा कर रहे हैं.’
उन्होंने बताया, ‘प्रशासन को सब पता है. उनका हिस्सा भी उन तक पहुंच जाता है. वह तो मीडिया और लोगों को दिखाने के लिए कभी-कभी तस्करों को पकड़ा जाता है.’
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नेपाल जाना कितना मुश्किल?
नेपाल से लगे बिहार के सुपौल जिला के कुनौली गांव के राम शंकर यादव बताते हैं, ‘कोरोना महामारी से पहले नेपाल जाने के लिए कोई भी रोक टोक नहीं थी. लेकिन लॉकडाउन खुलने के बाद नेपाल सरकार ने भारतीयों के प्रवेश के लिए पहले अनुमति लेने का नया कानून बना दिया है. अब सीमा द्वार पर भंसार लेना पड़ता है. भंसार यानी एक सरकारी कागज जो उस पार जाने की अनुमति देता है. लेकिन इससे तस्करी के धंधे में कोई भी फर्क नहीं हुआ है.’
उन्होंने कहा, ‘सीमा पर इस कानून का कोई खास असर नहीं दिख रहा. इस नए नियम का इतना प्रभाव पड़ा है कि लोग मुख्य मार्ग के जरिए निजी वाहनों से नेपाल जाने में डर रहे हैं. लेकिन टेम्पो से सीमा पार करने में कोई रोक-टोक नहीं है.’
नेपाल और कुनौली बॉर्डर पर चौकसी में तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के कमांडेंट सौरभ चौकसे कहते हैं, ‘कोरोना के कारण पहले बॉर्डर से सामान्य आवाजाही बंद थी. जो अब खुल चुकी है. जब से टैंकरों के जरिए तस्करी की खबरें आई हैं, तब से इन मार्गों पर चेकिंग बढ़ा दी गई है.’
उन्होंने कहा, ‘सीमा से सटा जहां भी सशस्त्र सीमा बल का क्षेत्र है, वहां इसे लेकर अलर्ट जारी किया गया है. हम तस्करों को पकड़ने के लिए बेहतरीन कोशिश कर रहे है.’
वहीं बिहार के पश्चिम चंपारण और नेपाल से सटे उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिला के पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘भारत-नेपाल सीमा पर प्रशासन को चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं. नेपाल जाने वाली हर सीमा पर जांच पड़ताल के बाद ही लोगों को आने-जाने की अनुमति है. पगडंडी रास्तों पर भी नियमित गश्त पुलिस व एसएसबी के जवान कर रहे हैं. जल्द ही पेट्रोल व डीजल की तस्करी पर हर हाल में अंकुश लगाया जाएगा.’
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