नयी दिल्ली, 14 मार्च (भाषा) खाद्य वस्तुओं के दामों में आई कमी के बावजूद फरवरी, 2022 में थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति बढ़कर 13.11 प्रतिशत पर पहुंच गई। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में आई गिरावट का लाभ कच्चे तेल और गैर-खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने की वजह से नहीं मिल पाया। सरकारी आंकड़ों से सोमवार को यह जानकारी मिली है।
थोक मुद्रास्फीति अप्रैल, 2021 से लगातार 11वें माह 10 प्रतिशत से ऊंची बनी हुई है। जनवरी, 2022 में डब्ल्यूपीआई 12.96 प्रतिशत पर थी, जबकि पिछले वर्ष फरवरी में यह 4.83 प्रतिशत पर थी।
गत 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने लगे थे, इसी ने थोक मूल्य सूचकांक पर दबाव डाला क्योंकि खाद्य वस्तुओं में सब्जियों से लेकर दालों और प्रोटीन वाली वस्तुओं तक की श्रेणियों में दामों में नरमी रही।
कच्चे तेल के दाम वैश्विक स्तर पर बढ़ने के कारण फरवरी में कच्चे पेट्रोलियम की मुद्रास्फीति बढ़कर 55.17 प्रतिशत हो गई, जो जनवरी में 39.41 फीसदी थी।
आंकड़ों के अनुसार, फरवरी, 2022 में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति कम होकर 8.19 प्रतिशत पर आ गई, जो जनवरी में 10.33 प्रतिशत थी।
इसी तरह समीक्षाधीन महीने में सब्जियों की मुद्रास्फीति 26.93 फीसदी रही जो जनवरी में 38.45 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।
अंडा, मांस और मछली में मुद्रास्फीति 8.41 प्रतिशत रही, वहीं प्याज के दाम 26.37 प्रतिशत तक कम हुए जबकि आलू के दाम 14.78 प्रतिशत बढ़ गए।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘फरवरी, 2022 में मुद्रास्फीति बढ़ने की प्रमुख वजह खनिज तेलों, मूल धातुओं, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और गैर-खाद्य वस्तुओं आदि की कीमतों में वृद्धि है।’’
विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति फरवरी में 9.84 प्रतिशत रही, जो जनवरी में 9.42 प्रतिशत थी।
फरवरी में ईंधन और ऊर्जा खंड में मुद्रास्फीति 31.50 प्रतिशत रही।
भाषा मानसी अजय
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