नयी दिल्ली, 25 जुलाई (भाषा) भारतीय वनस्पति तेल उत्पादक संघ (आईवीपीए) ने शुक्रवार को सरकार से नेपाल से रिफाइंड तेलों के शुल्क-मुक्त आयात की समीक्षा करने और खाद्य तेलों के लिए मानकीकृत पैकेजिंग को फिर से बहाल करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि मौजूदा नीतियों से घरेलू प्रसंस्करणकर्ताओं को नुकसान हो रहा है।
यह मांग आईवीपीए की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित दो दिवसीय वैश्विक गोलमेज सम्मेलन के अंत में की गई। सम्मेलन में उद्योग निकाय ने नेपाल के निर्यात से उत्तरी और पूर्वोत्तर भारतीय बाजारों में बाढ़ आने पर चिंता व्यक्त की।
आईवीपीए ने एक बयान में कहा, ‘‘इससे न केवल घरेलू प्रसंस्करणकर्ताओं और रिफाइनरी कंपनियों को नुकसान होता है, बल्कि तिलहनों की ‘फार्म-गेट’ कीमतों में भी कमी आती है और प्रसंस्करण क्षमताओं का कम उपयोग होता है।’’
संघ ने एक संभावित समाधान के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) जैसी सरकारी एजेंसियों और अन्य राज्य एजेंसियों के माध्यम से शून्य-शुल्क आयात को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा।
आईवीपीए ने सरकार से खाद्य तेलों के लिए मानक पैकेजिंग आकार फिर से लागू करने का भी आग्रह किया और कहा कि पैक विकल्पों की मौजूदा विविधता, कीमतों को लेकर उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा करती है।
बाजार परिदृश्य के बारे में, आईवीपीए ने कहा कि पाम तेल की कीमतें मौजूदा स्तरों के आसपास स्थिर बनी हुई हैं, और सोयाबीन तेल पर छूट जारी रहने की संभावना है। इसने अनुमान लगाया कि सरकार द्वारा स्टॉक जारी करने के साथ ही भारतीय सरसों की कीमतों में तेजी कम हो जाएगी।
एसोसिएशन ने कहा कि वैश्विक स्तर पर, काला सागर क्षेत्र की फसलों के सामान्य स्तर पर लौटने के साथ सूरजमुखी तेल की कीमतों में कमी आ सकती है।
आईवीपीए के अध्यक्ष सुधाकर देसाई ने कार्यक्रम में चर्चा का नेतृत्व किया।
एसोसिएशन ने कहा कि बढ़ते वैश्विक जैव ईंधन जनादेश को देखते हुए, भारत को प्रोत्साहनयुक्त न्यूनतम समर्थन मूल्यों के माध्यम से घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ाना चाहिए।
भाषा राजेश राजेश रमण
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