नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) हिंदुस्तान नेशनल ग्लास एंड इंडस्ट्रीज लि. (एचएनजी) के पंजीकृत श्रमिक संगठन एचएनजी इंडस्ट्रीज थोझिलालार नाला संगम ने कंपनी के निलंबित निदेशकों संजय सोमानी और मुकुल सोमानी के खिलाफ कई एजेंसियों में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में उनपर 42.46 करोड़ रुपये की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है और उनके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।
श्रमिक संगठन ने यह भी चेतावनी दी है कि दोनों के फरार होने का ‘गंभीर खतरा’ है, क्योंकि वे कथित तौर पर अपनी संपत्तियों का निपटान कर रहे हैं और धन को कर्जदारों की पहुंच से बाहर ले जा रहे हैं।
शिकायत में समाधान पेशेवर गिरीश जुनेजा को न्यायिक निर्देशों पर कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
कर्मचारी संगठन ने हाल ही में सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय, आर्थिक अपराध शाखा, वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय और सीमा शुल्क विभाग को इस बारे में प्रतिवेदन दिया है। इसमें राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण की कोलकाता पीठ के 12 सितंबर, 2025 के आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया था, ‘‘हमें पता चला है कि प्रतिवादियों द्वारा कर्जदाताओं को धोखा देने के इरादे से 42.46 करोड़ रुपये की राशि का दुरुपयोग और हेराफेरी की गई है।’’
यूनियन ने कानून के अनुसार, तत्काल गिरफ्तारी, पासपोर्ट जब्त करने, लुक-आउट सर्कुलर जारी करने, संपत्ति जब्त करने और कुर्की की मांग की है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहे और कर्जदाताओं तथा श्रमिकों दोनों के वैध अधिकारों की रक्षा हो सके।
शिकायत में बीडीओ इंडिया एलएलपी के फॉरेंसिक ऑडिट (नौ सितंबर, 2022) का हवाला दिया गया था, जिसमें दुर्विश व्यापार, राफब्रिक्स इंटरनेशनल, मैथन सिरेमिक एंड मोल्ड इक्विपमेंट के माध्यम से धोखाधड़ी वाले विक्रेता लेनदेन की पहचान की गई थी। एनसीएलटी ने निदेशकों को दो महीने के भीतर पैसा चुकाने या अपनी संपत्तियों से वसूली का सामना करने का निर्देश दिया था और समाधान पेशेवर को आईबीसी की धारा 69 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दिया था।
यूनियन ने दावा किया कि स्पष्ट न्यायिक निर्देशों के बावजूद, यह स्पष्ट नहीं है कि अभियोजन दायर किया गया है या नहीं। कर्जदाताओं की समिति के कुछ सदस्य, अभियुक्तों के साथ पिछले संबंधों के कारण, समाधान पेशेवर को रोक रहे हैं या बाधा डाल रहे हैं।
श्रमिक संगठन ने यह भी कहा, ‘‘हमारे सदस्य बिना वेतन, भविष्य निधि के बकाया, रुके हुए सामाजिक सुरक्षा लाभों के साथ अपनी आजीविका को लेकर गंभीर अनिश्चितता से जूझ रहे हैं। इतनी बड़ी रकम की हेराफेरी ने हजारों परिवारों को गंभीर संकट में डाल दिया है जो अभाव, भूख और स्वास्थ्य सेवा की कमी का सामना कर रहे हैं।’’
कर्जदाताओं की एक याचिका के बाद, अक्टूबर, 2021 में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने कर्ज में फंसी एचएनजी को समाधान के लिए स्वीकार कर लिया था।
एनसीएलटी की कोलकाता पीठ ने अगस्त, 2025 में उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद एचएनजी के पुनरुद्धार के लिए इंडिपेंडेंट शुगर कॉरपोरेशन लि. (आईएनएससीओ) की समाधान योजना को मंजूरी दे दी।
इस 45-दिवसीय निगरानी चरण के अंत में, एचएनजी का पूरा नियंत्रण माधवानी समूह के पास चला जाएगा। निगरानी समिति अपना पद छोड़ देगी और समूह द्वारा नामित एक नया बोर्ड कार्यभार संभालेगा।
एनसीएलटी के आदेश के अनुसार, समाधान योजना में कुल 2,250 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। इसमें 1,900 करोड़ रुपये अग्रिम नकद, कर्जदाताओं की समिति को तीन वर्षों में 350 करोड़ रुपये का आस्थगित भुगतान और कर्जदाताओं को पांच प्रतिशत इक्विटी शामिल है।
भाषा रमण अजय
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