मुंबई, 19 अप्रैल (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर मिली सफलता को टिकाऊ बनाने की जरूरत है।
दास ने इस महीने की शुरुआत में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में नीतिगत दर में यथास्थिति बनाये रखने के लिए मतदान करते हुए यह बात कही।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को एमपीसी की बैठक का ब्योरा जारी किया। इसके मुताबिक अन्य सदस्यों ने वैश्विक स्तर पर राजनीतिक घटनाक्रम से कीमतों पर पड़ने वाले असर पर चिंता जताई।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक के बाद रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का फैसला किया। मुद्रास्फीति पर चिंताओं के बीच रेपो दर फरवरी 2023 से इसी स्तर पर बनी हुई है।
दास ने कहा, ”मुद्रास्फीति को कम करने के लिए पिछले दो वर्षों में जो लाभ हुआ है, उसे बरकरार रखना होगा। टिकाऊ आधार पर सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य तक लाने के लिए काम करना होगा।”
एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने नीतिगत दर में यथास्थिति के पक्ष में मतदान किया था।
एमपीसी सदस्य जयंत आर वर्मा ने हालांकि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की वकालत की थी। उनकी दलील थी कि अधिक ब्याज दर से वृद्धि प्रभावित होती है।
ब्योरे के मुताबिक बैठक में दास ने कहा कि मुद्रास्फीति 2024-25 में घटकर 4.5 प्रतिशत हो सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर जारी तनाव और जिंस कीमतों तथा आपूर्ति श्रृंखलाओं पर उनके प्रभाव भी मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितताओं को बढ़ा रहे हैं।
एमपीसी में शशांक भिड़े, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा बाहरी सदस्य हैं। आरबीआई गवर्नर शक्तिकान्त दास, डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन केंद्रीय बैंक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
पात्रा ने कहा कि मौद्रिक नीति के प्रतिबंधात्मक रुख में किसी भी तरह की कमी की स्थिति अभी तक नहीं बनी है।
गोयल ने कहा कि वैश्विक व्यापार में सुधार होता दिख रहा है लेकिन वृद्धि मिलीजुली है और भू-राजनीतिक जोखिम बने हुए हैं।
भाषा पाण्डेय रमण
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