मुंबई, तीन सितंबर (भाषा) उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स में जनवरी से जुड़ने जा रहे छह देशों की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सेदारी सिर्फ 11 प्रतिशत होगी। एक विश्लेषण के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें भी सबसे ज्यादा चार प्रतिशत का हिस्सा सऊदी अरब का होगा।
एसबीआई रिसर्च द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार, पांच सदस्यीय ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शामिल होने के बाद वैश्विक जीडीपी में समूह की हिस्सेदारी मौजूदा 26 प्रतिशत से बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएगी और समूह का वैश्विक आबादी में हिस्सा 46 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा।
एक जनवरी, 2024 से प्रभावी हो रहे विस्तार की घोषणा ब्रिक्स की हाल में दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में हुई बैठक में की गई।
ब्रिक्स के सकल घरेलू उत्पाद में फिलहाल चीन की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत है, जो एक जनवरी को घटकर 62 प्रतिशत रह जाएगी, वहीं भारत की समूह में जीडीपी हिस्सेदारी मौजूदा के 13 प्रतिशत से घटकर 12 प्रतिशत रह जाएगी।
ब्रिक्स के जीडीपी में रूस की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत, ब्राजील की सात प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका की दो प्रतिशत है। यह कुल मिलाकर वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 26 प्रतिशत बैठता है।
रिपोर्ट के अनुसार, विस्तार के बाद रूस की हिस्सेदारी घटकर सात प्रतिशत रह जाएगी, दक्षिण अफ्रीका की घटकर एक प्रतिशत रह जाएगी। हालांकि, ब्राजील की हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं होगा।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि इन छह अर्थव्यवस्थाओं में वित्त वर्ष 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार में 6,81,259 करोड़ रुपये के साथ यूएई, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा है। इसके बाद सऊदी अरब (4,23,834 करोड़ रुपये), मिस्र (48,792 करोड़ रुपये), अर्जेंटीना (39,100 करोड़ रुपये), ईरान (18,680 करोड़ रुपये) और इथियोपिया (5,154 करोड़ रुपये) का स्थान है।
भाषा अनुराग अजय
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