नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) इन गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग 260 गीगावाट पर पहुंच जाने के अनुमान के बीच कोयले से पैदा होने वाली बिजली पर भारत की अत्यधिक निर्भरता बने रहने के आसार हैं।
बिजली मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि देश के कुछ हिस्सों में इस साल भीषण गर्मी पड़ने की संभावना है। इस दौरान बिजली की मांग भी काफी बढ़ जाएगी और मंत्रालय इसे ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी कर रहा है।
अधिकारी ने कहा कि नवीकरणीय क्षमताओं में वृद्धि जारी होने के बीच चरम मांग को पूरा करने के लिए बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार जमा किया जा रहा है। इसके अलावा सौर ऊर्जा भी मांग को पूरा करने में काफी मदद करेगी।
मंत्रालय ने सभी बिजली उत्पादक कंपनियों, खासकर कोयले से चलने वाले ताप-विद्युत संयंत्रों को अपनी रखरखाव योजनाओं को टालने का निर्देश दिया है। इसके अलावा गैस-आधारित बिजली संयंत्रों को बिजली पैदा करने के लिए उपलब्ध रहने को कहा गया है।
भारतीय मौसम-विज्ञान विभाग ने मंगलवार को अनुमान जताया कि भारत में अप्रैल-जून की अवधि में भीषण गर्मी का सामना करना होगा। इसकी सबसे ज्यादा मार देश के मध्य और पश्चिमी प्रायद्वीपीय हिस्सों पर पड़ने की आशंका है।
इसके अलावा, अधिकांश मैदानी इलाकों में सामान्य से अधिक लू चलने का अनुमान है। मौसम विभाग का कहना है कि देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्यतः चार से आठ दिन की तुलना में 10-20 दिन तक लू चल सकती है।
ऐसी स्थिति में बिजली मंत्रालय का अनुमान है कि देश में अधिकतम मांग 260 गीगावाट तक पहुंच सकती है, जो पिछले साल सितंबर के रिकॉर्ड 243 गीगावाट से अधिक है।
अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पीटीआई-भाषा से कहा कि देशभर के जलाशयों में पानी का स्तर कम होने के कारण इस बार जलविद्युत उत्पादन पिछले साल की तुलना में कम होगा। इस स्थिति में कोयला-आधारित बिजली संयंत्र और सौर ऊर्जा देश में बिजली की उच्च मांग का एक बड़ा हिस्सा पूरा करेंगे।
अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह और मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी पिछले दो सप्ताह से रेलवे और कोयला मंत्रालयों, राज्यों के अधिकारियों और बिजली कंपनियों के साथ देश में अत्यधिक गर्मी की अनुमानित स्थिति पर समीक्षा बैठकें कर रहे हैं।
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