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Thursday, 31 July, 2025
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फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने से रुपये पर दबाव बढ़ेगा, और नीचे आ सकता है : विशेषज्ञ

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नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) इस सप्ताह की शुरुआत में अपने अबतक के सबसे निचले स्तर को छूने वाली भारतीय मुद्रा पर दबाव बने रहने की आशंका है। विशेषज्ञों ने यह राय जताते हुए कहा है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और बढ़ोतरी का संकेत दिए जाने के बाद रुपया और नीचे जा सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी से मांग में कमी आएगी और अमेरिका में मंदी की आशंका बढ़ जाएगी। यह पूंजी निकासी की गति को और तेज कर सकता है, रुपये को कमजोर कर सकता है और इससे आयातित मुद्रास्फीति का खतरा बढ़ा सकता है।

फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में बढ़ोतरी से भारत और अमेरिका में ब्याज दरों का अंतर कम हो गया है, जिससे भारत डॉलर के निवेश के लिए कम आकर्षक रह गया है। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे पूंजी की निकासी हो सकती है तथा कच्चे तेल और जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी से रुपये में और गिरावट आ सकती है।

साथ ही आयातित महंगाई का भी खतरा है। भले ही वैश्विक कीमतें अपरिवर्तित रहें, लेकिन कमजोर रुपये का मतलब है कि भारत अपने आयात के लिए अधिक भुगतान कर रहा है और इस प्रकार मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा है।

भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरत का 85 प्रतिशत आयात से पूरा करता है। साथ ही गैस की 50 प्रतिशत जरूरत को आयात से पूरा किया जाता है।

रुपया सोमवार को कारोबार के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 80.15 के अपने सर्वकालिक निचले स्तर को छू गया था। मंगलवार को डॉलर के मुकाबले यह 39 पैसे की तेजी के साथ लगभग दो सप्ताह के उच्चस्तर 79.52 पर बंद हुआ।

बुधवार को गणेश चतुर्थी के कारण शेयर और विदेशी मुद्रा बाजार बंद हैं।

फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से भारतीय रुपया दबाव में है। रिजर्व बैंक अस्थिरता पर अंकुश लगाने और रुपये के गिरते मूल्य को थामने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में नियमित रूप से हस्तक्षेप कर रहा है।

देश का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर, 2021 में 642 अरब डॉलर के उच्चस्तर से घटकर 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 564.053 अरब डॉलर रह गया है।

ईवाई के व्यापार सलाहकार भागीदार हेमल शाह ने कहा, ‘‘डॉलर की मजबूती के कारण रुपये पर दबाव रहेगा और यह नए निचले स्तर को छू सकता है। हालांकि, रिजर्व बैंक सक्रिय रहेगा और रुपये में तेज गिरावट को थामने का प्रयास करेगा।’’

सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर रुपये में गिरावट के प्रभाव के बारे में डेलॉयट इंडिया के भागीदार और टीएमटी उद्योग के लीडर पीएन सुदर्शन ने कहा कि उद्योग मार्जिन दबाव में काम कर रहा है और विनिमय दर का लाभ उस दबाव को कुछ हद तक कम कर सकता है।

सुदर्शन ने कहा, ‘‘पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं असामान्य मुद्रास्फीति के दबाव का सामना कर रही हैं और वे थोड़ा सख्ती बरतने की कोशिश कर सकती हैं।’’

सूचीबद्ध निजी गैर-वित्तीय कंपनियों के प्रदर्शन पर रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों की वार्षिक बिक्री वृद्धि, जो कोविड-19 महामारी के दौरान भी सकारात्मक बनी रही, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान 21.3 प्रतिशत रही।

इस साल जनवरी से अबतक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 7.63 प्रतिशत कमजोर हुआ है।

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने कहा कि रुपये में गिरावट से आयात महंगा हो गया है।

उनके अनुसार, इससे खाद्य तेल के आयात पर असर पड़ेगा और घरेलू बाजार में कीमतें कुछ हद तक बढ़ सकती हैं। भारत अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए लगभग 60-65 प्रतिशत खाद्य तेलों का आयात करता है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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