नयी दिल्ली, दिल्ली, 13 अप्रैल (भाषा) कोयला मंत्रालय खानों को बंद करने की रूपरेखा पर सहयोग के लिए विश्व बैंक के साथ बातचीत कर रहा है। एक सरकारी अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
अतिरिक्त कोयला सचिव एम नागराजू ने कहा कि सरकार समाज के लाभ के लिए खदानों के परिचालन को वैज्ञानिक रूप से बंद करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नागराजू ने एक वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अब हम वास्तव में कोयला खदान बंद करने की रूपरेखा विकसित करने के लिए विश्व बैंक के साथ सहयोग कर रहे हैं।’’
विश्व बैंक के पास विभिन्न देशों में खदान बंद करने के मामलों को संभालने का व्यापक अनुभव है, जो हमारे लिए फायदेमंद होगा। विश्व बैंक खदान बंद करने के मामलों को संभालने में बेहतर मानकों को अपनाने में सहायता करेगा।
मंत्रालय ने पहले कहा था कि वह तीन प्रमुख पहलुओं- संस्थागत संचालन व्यवस्था, लोग और समुदाय और पर्यावरण सुधार एवं न्यायसंगत बदलाव के सिद्धांतों पर भूमि के दोबारा उपयोग के आधार पर खदान बंद करने की रूपरेखा को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है।
हालांकि, मंत्रालय ने कहा था कि भारतीय कोयला क्षेत्र व्यवस्थित खदान बंद करने की अवधारणा के लिए अपेक्षाकृत नया है। खदान बंद करने के दिशा-निर्देश पहली बार 2009 में पेश किए गए थे। इसे 2013 में फिर से जारी किया गया और यह अभी भी विकसित हो रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘चूंकि भारत में कोयला खनन बहुत पहले शुरू हो गया था। हमारे कोयला क्षेत्र कई पुरानी खदानों से भरे हुए हैं जो लंबे समय से इस्तेमाल में नहीं हैं।’’
इन खदान स्थलों को न केवल सुरक्षित और पर्यावरणीय रूप से स्थिर बनाया जाना चाहिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी आजीविका की निरंतरता सुनिश्चित की जानी चाहिए जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खदानों पर निर्भर थे।
खदानों की भूमि का पुन: उपयोग पर्यटन, खेल, वानिकी, कृषि, बागवानी और टाउनशिप सहित समुदाय और राज्य के आर्थिक उपयोग के लिए किया जाएगा।
भाषा रिया अजय
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