नयी दिल्ली, 24 जनवरी (भाषा) अधिक प्रीमियम वाली यूनिट आधारित बीमा योजना (यूलिप) से प्राप्त राशि को कर योग्य बनाया गया है। इसका उद्देश्य इसे म्यूचुअल फंड के समरूप बनाना है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 18 जनवरी को 2.5 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक प्रीमियम वाले यूलिप के संबंध में पूंजीगत लाभ की गणना के तौर-तरीकों को लेकर नियमों को अधिसूचित किया। बाद में अगले दिन एक परिपत्र जारी किया जिसमें कराधान के विभिन्न पहलुओं को बताया गया था।
आयकर विभाग के सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि पिछले केंद्रीय बजट में यूलिप के संबंध में की गयी घोषणा को प्रभावी बनाने के लिए सीबीडीटी ने नियमों और दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया है।
उसने कहा कि यह कोई नया कराधान प्रावधान नहीं हैं, बल्कि केवल विशिष्ट मामलों में यूलिप को भुनाने के लिए पूंजीगत लाभ की गणना के तरीके को स्पष्ट करता है।
आयकर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वर्ष 2021 के वित्त अधिनियम के जरिये आयकर अधिनियम की धारा 10(10डी) में संशोधन किया गया। इसके तहत एक फरवरी, 2021 या उसके बाद जारी उस यूलिप के तहत प्राप्त राशि को छूट नहीं दी जाएगी जिसमें किसी भी वर्ष के लिए देय वार्षिक प्रीमियम 2.50 लाख रुपये से अधिक है।
उसने कहा कि यह प्रावधान म्यूचुअल फंड निवेश और यूलिप निवेश के बीच समान अवसर उपलब्ध करने के लिये लाया गया है।
अधिकारी के अनुसार, यह कदम तब उठाया गया जब यह पाया गया कि यूलिप को बीमा की तुलना में निवेश उद्देश्यों के लिए निवेशक अधिक पसंद कर रहे हैं।
उसने कहा कि म्यूचुअल फंड के मामले में इसको भुनाने पर पूंजीगत लाभ कर लगाया जाता है। हालांकि, यूलिप के मामले में ऐसा नहीं था। हालांकि, प्रीमियम का बीमा हिस्सा बहुत कम था और प्रीमियम का निवेश हिस्सा अधिक था।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि 2021 के वित्त अधिनियम में इस संशोधन ने ‘सुनिश्चित’ किया कि म्यूचुअल फंड यूनिट और यूलिप दोनों कर के मामले में समान हों।
भाषा रमणं अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.