चेन्नई, 18 नवंबर (भाषा) तमिलनाडु को कार्बन उत्सर्जन में एक तिहाई कमी लाने के लिए 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का 60 प्रतिशत एकीकृत करने की जरूरत है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
देश में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति बिजली खपत करने वाले राज्यों में से एक तमिलनाडु ऊर्जा बदलाव के मामले में प्रमुख भूमिका निभाएगा।
‘तमिलनाडु सतत ऊर्जा बदलाव वार्ता’ कार्यक्रम के दौरान जारी रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु जैसा अत्यधिक औद्योगीकृत राज्य नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का लगभग 60 प्रतिशत एकीकृत कर अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के बावजूद उत्सर्जन को 25-32 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
शोध संस्थान डब्ल्यूआरआई इंडिया की प्रमुख संध्या एस रागवन ने कहा कि तापीय और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता तथा इसमें इजाफा करने की योजना के साथ राज्य अनूठा है। भविष्य में होने वाली क्षमता वृद्धि और उसका उत्सर्जन पर पड़ने वाले प्रभाव एवं दोनों स्रोतों से उत्पादन का विवेकपूर्ण मूल्यांकन करना अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि ऊर्जा नियोजन उपकरण आपूर्ति-मांग की संभावनाओं का पता लगाने, उत्सर्जन लक्ष्यों को तय करने और राज्य को निम्न-कार्बन उत्सर्जन की ओर ले जाने में विभिन्न तरीकों को तैयार करने में उपयोगी साबित हो सकते हैं।
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