नयी दिल्ली, 19 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि सत्र न्यायाधीश या अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत को दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी), 2016 के तहत शिकायत की सुनवाई करने का अधिकार है।
न्यायालय ने यह आदेश देते हुए इस संबंध में बंबई उच्च न्यायालय के 2022 के एक फैसले को खारिज कर दिया।
बंबई उच्च न्यायालय ने भारतीय दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता बोर्ड की एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अपने आदेश में एक कंपनी के दो पूर्व निदेशकों के खिलाफ प्रक्रिया जारी रखने का आदेश दिया था।
इस पर अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय में अपील की। अपील पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने केवल इस आधार पर शिकायत को रद्द करके बड़ी गलती की है कि यह याचिका एक सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत में दायर की गई थी।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह माना जाता है कि सत्र न्यायाधीश या अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली विशेष अदालत को संहिता के तहत शिकायत की सुनवाई करने का अधिकार है।
न्यायालय ने मामले को गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने के लिए उच्च न्यायालय के पास भेज दिया।
भाषा पाण्डेय रमण
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