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Monday, 18 November, 2024
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सोयाबीन डीगम, सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट

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नयी दिल्ली, 20 अप्रैल (भाषा) शिकागो एक्सचेंज में कल रात 1.25 प्रतिशत से अधिक गिरावट के बीच शनिवार को देश के तेल तिलहन बाजारों में सोयाबीन डीगम के साथ साथ कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल जैसे आयातित तेलों में गिरावट दर्ज हुई।

दूसरी ओर कम दाम पर बिकवाली नहीं करने की वजह से आवक घटने के बीच सोयाबीन तिलहन के अलावा सरसों तेल और मूंगफली तेल तिलहन के भाव में सुधार दिखा। सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की अधिकांश तेल मिलों के बंद होने के बीच सरसों तिलहन, सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल और बिनौला तेल कीमतें पूर्वस्तर पर बनी रहीं।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि कल सरसों की आवक घटने का कारण चुनाव की वजह से कई स्थानों पर मंडियों का कारोबार प्रभावित रहना बताया जा रहा था लेकिन बाद में पता लगा कि किसान नीचे भाव पर बिकवाली नहीं कर रहे थे जिसकी वजह से आवक कम हुई।

पहले चरण के चुनाव के बाद आज आवक बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन आज भी आवक में खास वृद्धि नहीं देखी गई। आज सरसों की 6.50 लाख बोरी की आवक हुई जो आवक पिछले साल अप्रैल में 14-15 लाख बोरी की हो रही थी।

उन्होंने कहा कि सरसों मिलों को पेराई करने में 5-6 रुपये प्रति किलो का नुकसान हो रहा है। सरकार अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों खरीद करेगी भी तो अधिक से अधिक 28-32 लाख टन ही खरीद पायेगी बाकी सरसों की विशाल मात्रा कहां खपेगी इसे देखना बाकी है। सरकारी खरीद के हिसाब से सरसों तेल का भाव 125-130 रुपये किलो बैठता है और बाजार में इसका थोक भाव लगभग 100 रुपये किलो बैठता है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्यतेलों की लगभग 55 प्रतिशत कमी को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर इस देश में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की लगभग 65 प्रतिशत पेराई मिलें बंद हो गयी हैं। इसके बारे में क्या कोई तेल संगठन सरकार को वस्तुस्थिति की जानकारी भी दे रहा है, यह प्रश्न बना हुआ है।

उन्होंने कहा कि ऐसे तिलहन उत्पादन बढ़ाने का क्या फायदा जहां आयातित तेलों के थोक दाम सस्ता होने के बीच देशी तेल तिलहन का खपना मुश्किल हो जाये। क्या यह स्थिति देशी तेल तिलहन का बाजार विकसित करने, इसके हिसाब से आयात नीति बनाने और शुल्क निर्धारित किये जाने की जरुरत नहीं रेखांकित करती?

सूत्रों ने कहा कि कल रात शिकागो एक्सचेंज में गिरावट की वजह से सोयाबीन डीगम तेल के दाम में गिरावट रही। जबकि किसानों को पिछले दो-तीन सालों के मुकाबले सोयाबीन का मौजूदा दाम बहुत कम लग रहा है और इस कारण वे सस्ते में बिकवाली करने को राजी नहीं हैं जिसकी वजह से सोयाबीन दिल्ली और सोयाबीन इंदौर तेल में कामकाज कमजोर है जिसके कारण इन तेलों के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 5,235-5,275 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,170-6,445 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,825 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,255-2,520 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 10,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,705-1,805 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,705 -1,820 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,800 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,925 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,775 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,275 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,800-4,820 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,600-4,640 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश पाण्डेय

पाण्डेय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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