नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) भारतीय झींगा निर्यातकों ने अमेरिका के झींगा पर डंपिंग रोधी और प्रतिपूरक शुल्कों की समीक्षा अगले महीने शुरू करने की आशंका जताई है और कड़ी वैश्विक प्रतिस्पर्धा के बीच राहत सुनिश्चित करने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है।
निर्यातकों ने कहा कि इन शुल्कों की गणना करने का अमेरिका का फार्मूला गलत है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को उनके साथ द्विपक्षीय रूप से मुद्दे उठाने चाहिए, क्योंकि घरेलू व्यापारियों को अमेरिकी बाजार में इक्वाडोर और वियतनाम से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है।
कोलकाता स्थित समुद्री खाद्य निर्यातक एवं मेगा मोडा के प्रबंध निदेशक योगेश गुप्ता ने कहा, ‘‘अमेरिकी अधिकारी भारत की निर्यात उत्पादों पर शुल्क एवं कर में छूट (आरओडीटीईपी) और ‘ड्यूटी ड्रॉबैक’ योजनाओं को प्रोत्साहन योजनाएं मानते हैं, जबकि सच यह नहीं है। दोनों ही विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के अनुरूप ‘ड्यूटी रिफंड’ योजनाएं हैं।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका झींगा पर डंपिंग रोधी शुल्क लगाने के लिए ‘जीरोइंग’ पद्धति का उपयोग करता है, जो सही नहीं है और इस पर पुनः विचार किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह डंपिंग मुनाफे की गणना को विकृत करता है।
‘जीरोइंग’ का एक विवादास्पद पद्धति माना जाता है जिसका इस्तेमाल अमेरिका द्वारा विदेशी उत्पादों के विरुद्ध डंपिंग रोधी शुल्क की गणना के लिए किया जाता है।
उन्होंने कहा कि निर्यातक चिंतित हैं और सरकार को परिवहन एवं विपणन सहायता (टीएमए) योजना को फिर से शुरू कर उन्हें समर्थन देने के लिए आगे आना चाहिए।
इसके जरिये अमेरिका निर्यात मूल्य और सामान्य मूल्य के बीच उचित तुलना नहीं कर रहा है, जिससे डंपिंग मुनाफे की गणना विकृत हो रही है। इन शुल्कों के अलावा भारतीय झींगा निर्यातकों को अमेरिका द्वारा दो अप्रैल को लगाया गया 10 प्रतिशत का मूल शुल्क भी झेलना पड़ रहा है।
अमेरिका ने हालांकि भारत को बड़ी राहत देते हुए उस पर लगाए गए अतिरिक्त 26 प्रतिशत शुल्क पर फिलहाल रोक लगा दी है।
अमेरिका को भारतीय झींगा निर्यात पर वर्तमान में 17.7 प्रतिशत का प्रभावी सीमा शुल्क लगता है, जिसमें 5.77 प्रतिशत प्रतिपूरक शुल्क और 1.8 प्रतिशत डंपिंग रोधी शुल्क शामिल है।
भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ के महासचिव के. एन. राघवन ने हाल ही में सरकार से आग्रह किया कि वह शुल्क रोक की अवधि समाप्त होने से पहले आगामी व्यापार वार्ता के दौरान देश के समुद्री खाद्य निर्यात के लिए ‘‘समान अवसर’’ सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करें।
एक अन्य निर्यातक ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी इक्वाडोर है, क्योंकि उसे कम शुल्क का सामना करना पड़ता है और अमेरिकी बाजार के निकट होने के कारण पोत-परिवहन में उसे बड़ी बढ़त हासिल है।
ओडिशा स्थित निर्यातक राजेन पाधी ने कहा कि डंपिंग रोधी शुल्क दो दशकों से लागू है और अब समय आ गया है कि अमेरिका, भारत के लिए एक समान दर निर्धारित करे।
घरेलू झींगा उद्योग के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है।
भारत के कुल झींगा निर्यात में से देश 40 प्रतिशत अमेरिका को भेजता है।
इक्वाडोर और इंडोनेशिया अमेरिकी बाजार में घरेलू निर्यातकों के प्रमुख प्रतिस्पर्धी हैं।
भारत में करीब एक लाख झींगा ‘फार्म’ हैं, जिनमें से अधिकतर आंध्र प्रदेश में हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान ‘फ्रोजन’ झींगा का निर्यात 7,16,004 टन था। पिछले वित्त वर्ष 2024-25 में अमेरिका ने 2,97,571 टन आयात किया, उसके बाद चीन (1,48,483 टन), यूरोपीय संघ (89,697 टन) और जापान (35,906 टन) का स्थान रहा।
भाषा निहारिका मनीषा
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