नयी दिल्ली, 11 मार्च (भाषा) बाजार नियामक सेबी ने पर्यावरण, सामाजिक एवं कामकाजी संचालन (ईएसजी) से संबंधित रेटिंग देने वाली फर्मों के नियमन के लिए पेश किए गए प्रारूप पर सुझाव देने की समय-सीमा बढ़ाकर 10 अप्रैल कर दी है।
नियामक ने अपनी वेबसाइट पर यह परामर्श पत्र जनवरी में अपलोड किया था और इस पर 10 मार्च तक सुझाव मांगे थे। सेबी ने अब इस समय-सीमा को बढ़ाकर 10 अप्रैल कर दिया है।
सेबी ने अपने परामर्श पत्र में कहा है कि 10 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य वाली क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां एवं विश्लेषक फर्में ही ईएसजी रेटिंग सेवा प्रदाता (ईआरपी) के तौर पर स्वीकार्य मानी जाएंगी। किसी भी सूचीबद्ध कंपनी को ईएसजी मानकों पर अपनी रेटिंग हासिल करने के लिए सिर्फ मान्यताप्राप्त ईआरपी से ही सेवा लेनी जरूरी होगी।
इसके अलावा सेबी ने यह भी कहा है कि ईएसजी रेटिंग प्रदाताओं को कंपनी के संबंधित क्षेत्र का भी उल्लेख करना चाहिए। मसलन, कार्बन जोखिम रेटिंग का उल्लेख ईएसजी रेटिंग के तौर पर नहीं किया जाना चाहिए।
परामर्श पत्र के मुताबिक, ईआरपी को कम-से-कम एक रेटिंग उत्पाद की पेशकश जरूर करनी चाहिए। हितधारकों के बीच किसी भी तरह के संदेह से बचने के लिए यह प्रस्ताव भी रखा गया है कि ईआरपी को हमेशा ही उचित शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए।
भाषा पाण्डेय प्रेम
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