scorecardresearch
Sunday, 22 December, 2024
होमदेशअर्थजगतसेबी ने ‘फ्रंट रनिंग’ मामले में नौ इकाइयों पर प्रतिबंध लगाया, 21 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त की

सेबी ने ‘फ्रंट रनिंग’ मामले में नौ इकाइयों पर प्रतिबंध लगाया, 21 करोड़ रुपये की अवैध कमाई जब्त की

Text Size:

नयी दिल्ली, 22 दिसंबर (भाषा) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पीएनबी मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के इक्विटी डीलर सचिन बकुल दगली और आठ अन्य इकाइयों से जुड़ी एक ‘फ्रंट-रनिंग’ योजना का भंडाफोड़ किया है। इन लोगों ने इस योजना के जरिये 21.16 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया था। ‘फ्रंट रनिंग’ से आशय अग्रिम सूचना के आधार पर शेयर बाजार में लेन-देन करना और लाभ कमाना है। उस समय तक यह सूचना ग्राहकों को उपलब्ध नहीं होती।

इन इकाइयों द्वारा फ्रंट-रनिंग तीन साल से अधिक समय तक जारी रही।

सेबी ने शुक्रवार को एक अंतरिम आदेश के जरिये सचिन बकुल दगली और आठ अन्य इकाइयों को प्रतिभूति बाजार से प्रतिबंधित कर दिया और उनके द्वारा अर्जित अवैध लाभ को जब्त कर लिया। सेबी ने कुछ इकाइयों द्वारा बड़े ग्राहकों के पीएनबी मेटलाइफ इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के लेन-देन में संदिग्ध ‘फ्रंट रनिंग’ की जांच की थी।

जांच का मकसद यह पता लगाना था कि क्या संदिग्ध इकाईयों ने डीलरों और/या कोष प्रबंधकों सहित सहित अन्य लोगों के साथ मिलीभगत करके बड़े ग्राहकों के लेन-देन में फ्रंट रनिंग की थी।

इस तरह इन लोगों ने सेबी के पीएफयूटीपी (धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार निषेध) नियमों और सेबी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया था।

जांच की अवधि एक जनवरी, 2021 से 19 जुलाई, 2024 तक थी। अपनी जांच में सेबी ने पाया कि पीएनबी मेटलाइफ में अधिकांश लेन-देन से संबंधित निर्णय निष्पादन के लिए सचिन दगली को सौंपे गए थे।

नियामक ने पाया कि सचिन बकुल दगली (इक्विटी डीलर, पीएनबी मेटलाइफ) और उनके भाई तेजस दगली (इक्विटी सेल्स ट्रेडर, इन्वेस्टेक) ने पीएनबी मेटलाइफ और इन्वेस्टेक के संस्थागत ग्राहकों के आगामी ऑर्डर के बारे में गोपनीय, गैर-सार्वजनिक जानकारी प्राप्त की। उन्होंने इस जानकारी का उपयोग लेन-देन के लिए किया और इसे संदीप शंभरकर के साथ साझा किया, जिसने धनमाता रियल्टी प्राइवेट लि.(डीआरपीएल), वर्थी डिस्ट्रिब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड (डब्ल्यूडीपीएल) और प्रग्नेश संघवी के खातों के जरिये फ्रंट रनिंग लेन-देन का क्रियान्वयन किया।

डीआरपीएल और डब्ल्यूडीपीएल के निदेशक, जिनमें अर्पण कीर्तिकुमार शाह, कविता साहा और जिग्नेश निकुलभाई दभी शामिल हैं, ने भी इस योजना को फायदा उठाया। इस लोगों ने सेबी अधिनियम और धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार (पीएफयूटीपी) विनियमों का उल्लंघन करते हुए एक धोखाधड़ी वाली फ्रंट-रनिंग योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने के लिए मिलीभगत की और इसके जरिये अवैध लाभ कमाया।

सेबी ने कहा कि डीआरपीएल, डब्ल्यूडीपीएल और प्रग्नेश संघवी के खातों के जरिये 6,766 ऐसे फ्रंट रनिंग के मामले सामने आए। इन इकाइयों ने इसके जरिये 21,15,78,005 का अवैध लाभ कमाया। सेबी ने कहा कि इन इकाइयों के खातों में फ्रंट रनिंग गतिविधियां का सिलसिला लंबे अरसे यानी तीन साल से अधिक समय तक चला।

सेबी ने इन इकाइयों पर अगले आदेश तक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से शेयरों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है।

भाषा अजय अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments