नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में पैदा हुए गतिरोध को देखते हुए भारत को कीमत नियंत्रण संबंधी अपनी प्रतिक्रिया में बदलाव लाने की जरूरत है।
अपने मुखर विचारों के लिए मशहूर राजन ने कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ इस जंग में हार होने पर न तो सरकार और न ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का मकसद पूरा हो पाएगा।
उन्होंने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि किसी भी केंद्रीय बैंक के लिए सरकार से मिले निर्देश का सम्मान करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के केंद्रीय बैंक को एक निर्देश है और वह उस पर खरा भी उतरा है। महामारी के समय ब्याज दरों में बढ़ोतरी न कर मध्यम स्तर की मुद्रास्फीति को तरजीह दी गई।’’
आरबीआई को यह निर्देश है कि मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के स्तर पर रखा जाए जिसमें दो प्रतिशत कम या ज्यादा होने की गुंजाइश रखी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी अन्य केंद्रीय बैंक की तरह हमें भी नई चुनौतियां आने पर पुनर्संयोजन करना है। अगर हम ऐसा नहीं करते हैं और मुद्रास्फीति के खिलाफ यह जंग हार जाते हैं तो यह न तो सरकार और न ही आरबीआई के लिए अच्छा होगा।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या भारत में मुद्रास्फीति की मौजूदा स्थिति एक अस्थायी झटका है, तो उन्होंने कहा कि यह दुनिया के कई हिस्सों में पहले से ही ऊंचे स्तर पर मौजूद मुद्रास्फीति के ऊपर की स्थिति है। इस तरह युद्ध का अतिरिक्त प्रभाव मुद्रास्फीति को बढ़ा रहा है।
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प्रेम अजय
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