नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) दैनिक उपभोग के सामान (एफएमसीजी) बनाने वाली कंपनियों के लिए मार्च तिमाही में ग्रामीण बाजार की वृद्धि शहरी बाजार से बेहतर रही है। इस दौरान जिंस कीमतें ऊंची रहने की वजह से एफएमसीजी कंपनियों के मार्जिन पर दबाव रहा। कुछ प्रमुख एफएमसीजी कंपनियों की तरफ से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से यह जानकारी मिली है।
सूचीबद्ध एफएमसीजी कंपनियों डाबर, मैरिको और एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस (पूर्व में अदाणी विल्मर) के तिमाही ब्योरे से पता चलता है कि जनवरी-मार्च, 2025 में परंपरागत किराना दुकानें दबाव में रहीं। वहीं आधुनिक माध्यम मसलन ई-कॉमर्स और त्वरित वाणज्य (क्विक कॉमर्स) ने अपनी वृद्धि की रफ्तार बनाए रखी।
खाद्य मुद्रास्फीति ने शहरी बाजार में मांग को प्रभावित करना जारी रखा है। कुल एफएमसीजी बिक्री में शहरी बाजार का योगदान लगभग दो-तिहाई का है। हालांकि, एफएमसीजी कंपनियां मौजूदा प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में लाभदायक वृद्धि की उम्मीद कर रही हैं। इसकी वजह खुदरा और खाद्य मुद्रास्फीति में कमी के साथ सामान्य मानसून का अनुमान है।
घरेलू एफएमसीजी कंपनी डाबर ने 2024-25 की चौथी तिमाही के लिए अपने तिमाही ब्योरे में कहा, ‘‘चौथी तिमाही के दौरान, ग्रामीण इलाकों में जुझारूपन बना रहा और इसने शहरी बाजारों से बेतर प्रदर्शन किया।
डाबर इंडिया ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर, तिमाही के दौरान एफएमसीजी बिक्री मात्रा के हिसाब से धीमी रही।’’
एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस ने कहा कि उसने ‘‘शहरी बाजारों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर वृद्धि देखी, खासकर खाद्य श्रेणी में।’’
मैरिको ने कहा कि बीती तिमाही में एफएमसीजी क्षेत्र ने ‘ग्रामीण बाजार में सुधार’ के बीच स्थिर मांग का रुझान देखा। सफोला, पैराशूट और लिवॉन जैसे ब्रांडों की मालिक कंपनी ने कहा कि बड़े पैमाने पर और प्रीमियम शहरी क्षेत्रों में इसका रुझान मिला-जुला रहा।
डाबर को पिछली तिमाही में अपने राजस्व में गिरावट और मुद्रास्फीति के कारण परिचालन लाभ मार्जिन में 1.5-1.75 प्रतिशत कमी की उम्मीद है। डाबर ने कहा कि तिमाही के दौरान सर्दियों की अवधि कम रहने का भी असर पड़ा।
क्विक-कॉमर्स माध्यम की वृद्धि के बारे में, एडब्ल्यूएल एग्री बिजनेस ने कहा कि इस बेहद स्थानीय आपूर्ति प्रणाली से उसकी बिक्री वास्तव में मार्च तिमाही में सालाना आधार पर दोगुना हो गई।
डाबर ने कहा, ‘‘संगठित व्यापार माध्यम ने अपनी वृद्धि की गति को बनाए रखा, जबकि सामान्य व्यापार दबाव में रहा।’’
भाषा अजय अजय प्रेम
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