नयी दिल्ली, 17 अप्रैल (भाषा) कच्चे माल और सेमीकंडक्टर की कीमतों में वृद्धि के साथ यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति श्रृंखला संबंधी व्यवधान इस वर्ष भारत के वाहन उद्योग की दिशा तय करेंगे और वृद्धि को प्रभावित करेंगे। एमजी मोटर इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक राजीव छाबा ने ये विचार व्यक्त किए।
छाबा ने कहा कि घरेलू वाहन उद्योग को 2022 में 10 फीसदी से अधिक वृद्धि की आशा थी लेकिन मौजूदा हालात यदि बने रहते हैं तो समय बीतने के साथ मांग पर इसका असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जनवरी, फरवरी से पहले भारतीय वाहन उद्योग को उम्मीद थी कि वर्ष 2022 सर्वश्रेष्ठ साल साबित होगा और हम 2018 में हासिल वृद्धि को भी पार कर जाएंगे। हमें उम्मीद थी कि इस साल बाजार 10 प्रतिशत से अधिक की दर से वृद्धि करेगा। अगर आप अप्रैल की बात करें, तो हालात ठीक लग रहे हैं लेकिन मैं मांग के लिए प्रतिकूल माहौल महसूस कर पा रहा हूं।’’
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के मुताबिक, 2018 में विभिन्न श्रेणी के वाहनों की कुल थोक बिक्री 2,67,58,787 इकाई थी, जबकि 2021 में डीलरों को भेजे गए कुल वाहनों की संख्या 1,84,92,506 इकाई थी जो 2020 के 1,74,70,854 वाहनों के मुकाबले छह प्रतिशत अधिक है।
छाबा ने अपने इस अनुमान के पीछे वजह बताते हुए कहा, ‘‘धातुओं की कीमतों में वृद्धि के कारण लागत बहुत तेजी से बढ़ रही है। चिप के दाम भी बढ़ गए। यूक्रेन संकट और अन्य भू-राजनीतिक संकटों के कारण आपूर्ति श्रृंखला में बहुत अधिक व्यवधान है। इसका वाहन उद्योग पर भी असर पड़ेगा, आगे जाकर मांग घट सकती है।’’
उन्होंने कहा कि अभी बाजार में इसका प्रभाव नजर नहीं आ रहा है लेकिन इस तरह के दबाव, जो मूल रूप से वैश्विक मुद्दे हैं, यदि जारी रहते हैं तो उनका असर निश्चित तौर पर पड़ेगा।’’
भाषा मानसी अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.