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Thursday, 26 September, 2024
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कच्चे तेल में उछाल से चालू खाते का घाटा 3.2 प्रतिशत पहुंचने का जोखिम: इक्रा

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मुंबई, आठ मार्च (भाषा) रेटिंग एजेंसी इक्रा ने रूस-यूक्रेन संकट की वजह से कच्चे तेल एवं अन्य जिंसों की कीमतों में आई तेजी के चलते अर्थव्यवस्था को अगले वित्त वर्ष में गंभीर जोखिमों का सामना करने को लेकर आगाह किया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 14 वर्षों के उच्चतम स्तर 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुके हैं। यूक्रेन पर रूस का हमला शुरू होने के पहले तेल का भाव 94 डॉलर प्रति बैरल था। वैश्विक तेल उत्पादन में 14 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले रूस के सैन्य कार्रवाई में शामिल होने से चिंताएं बढ़ी हैं।

बदले घटनाक्रम में भारत को मार्च में अब तक कच्चा तेल औसतन 114.6 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर खरीदना पड़ा है। यह फरवरी के 93.3 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में 22.9 फीसदी के तीव्र उछाल को दर्शाता है।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा कि कच्चे तेल के मौजूदा स्तर को देखते हुए भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) तेल के औसत दाम में प्रत्येक 10 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी पर 14-15 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर कच्चे तेल के औसत दाम वित्त वर्ष 2022-23 में 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचते हैं तो भारत का चालू खाते का घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.2 फीसदी हो जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो यह एक दशक में पहली बार तीन प्रतिशत को पार कर जाएगा।

वहीं अगले वित्त वर्ष में कच्चे तेल का औसत मूल्य 115 डॉलर प्रति बैरल रहने पर चालू खाते का घाटा 100-105 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है जो जीडीपी का 2.8 फीसदी होगा।

चालू खाते का सर्वाधिक घाटा वर्ष 2012-13 में रहा था जब यह जीडीपी के 4.8 फीसदी पर पहुंच गया था। उसके एक साल पहले भी यह जीडीपी का 4.3 प्रतिशत रहा था।

इक्रा की रिपोर्ट कहती है कि यूक्रेन संकट का समाधान नहीं निकलने तक रुपया 76-79 प्रति डॉलर के दायरे में कारोबार कर सकता है। इसके साथ ही दस-वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल भी बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में 7-7.4 प्रतिशत हो सकता है।

भाषा

प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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